विवाह – vivah
विवाह
एक उत्सव जो लाता है जीवन मे उत्साह
कुछ दिनों पहले शुरू हो जाती है तैयारियाँ
धर्मशाला , टेन्ट-हाउस , कैटरींग जैसी जिम्मेदारीयाँ
नये-नये कपड़े , नये-नये आभूषण
घर-धर्मशाला मे lighting और Decoration
जोरदार तरीके से किया जाता है बारातियों का स्वागत
सभी होते हैं एक दुसरे से अवगत
जब घोड़े पर होता है , दूल्हा और निकलती है बारात
झुमते , नाचते , गाते हैं सब उसके साथ
संगीत, रोशनी और सौंदर्य के रंगों से सजा होता है Reception
अलग ही होता है , दुल्हा -दुल्हन का आकर्षण
बूफे मे एक से एक स्वादिष्ट पकवान
मिठाईयों के स्टाल पर होता है सबका ध्यान
विवाह
एक संस्कार जिसमे किया जाता है कईं परंपराओं का निर्वाह
सबसे पहले होती है गणेश-पूजा
फिर चूल्हा कोठी का मुहुर्त दूजा
भात-पूजा , हवन और हल्दी स्नान
जो बढाता है दूल्हा-दुल्हन की शान
जब किया जाता है , लाडू से लाड़
तो कर ना पड़ता है , मिठाई का जुगाड़
आम के पत्तों , डंडों और मटकों से सजाया जाता है मंडप
जिसमे संपन्न किये जाते हैं सारे मंत्रौच्चार और जप
मामेरा और कुटुंब पैरावनी
दूल्हे को शर्ट-पेन्ट , दुल्हन को सुंदर ओढनी
सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं , गोधुली-वेला के लग्न
दोनों परिवार होते हैं , विवाह की खुशी मे मग्न
वर-वधू निभाते हैं पहली बार एक-दूसरे का साथ
थामे रहते हैं बहुत देर तक एक -दूजे का हाथ
जिस पर जल को अर्पित कर किया जाता है कन्यादान
हर बेटी के पिता का जो होता है फर्ज महान
फिर खेला जाता है , सिंगाड़ा नामक पासों का खेल
कभी कोई पास , तो कभी कोई फेल
रात मे सात वचनों के साथ लिये जाते हैं सात फेरे
वर-वधू के साथ होते हैं , दो परिवारों के संबंध गहरे
और अंत मे जब होती है दुल्हन की विदाई
माता-पिता , बहन हो या भाई
आँखों मे दिखती है , प्रेम की गहराई
विवाह
बनाये रखता है जीवन मे चेतना का प्रवाह
बड़े-बूढे देते हैं आशीर्वाद
पति-पत्नी हमेशा निभाते हैं एक दूसरे का साथ
पुलकित मन, आनंदित यौवन
जब शुरू होता है दांपत्य जीवन
पति और पत्नी का प्यार
समर्पण है जिसका आधार
विवाह
एक शब्द जिसकी गहराई है अथाह
Author : – Chaitanya Sharma ( चैतन्य शर्मा )