”छोटी-सी प्यारी-सी नन्ही-सी बिटिया”
रह-रह कर याद आती है
वह छोटी-सी प्यारी-सी नन्ही-सी बिटिया
बहुत, बार-बार....
मन-ही-मन मुसकराने वाली
सारी दुनिया से न्यारी
वह कोमल-सी छुटकी-सी फूलों-सी बिटिया.
प्रश्न उठता है यह बार-बार
क्यों होती है बेटी भाव-प्रवीणा
बेटों की तुलना में
कोमल,…
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