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300 करोड़ का बीआरटीएस किस काम का

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# CM के सपनों के शहर में 300 करोड़ का बीआरटीएस किस काम का….

# आखिर जनता को नहीं मिल पाया फुट ओव्हर ब्रिज का सुख…

# कॉरिडोर पर रोड क्रॉस के लिए कोई व्यवस्था नहीं है , दुर्घटना का डर बना रहता है…

इंदौर : शहर में ट्रैफिक के बढ़ते दवाब के कारण पैदल चलने वालों को सड़क क्रॉस करने में सबसे ज्यादा परेशानी आती है। शहर में कुछ ऐसे प्वाइंट है, जहां से लोगों का भारी संख्या में सड़क क्रॉस करने का सिलसिला रोजाना ज्यादा रहता है । ऐसी ही परेशानी का एक प्वाइंट शहर के पूर्वी क्षेत्र में बने बीआरटीएस कॉरिडोर पर है। साढ़े 11 किलो मीटर लंबे कॉरिडोर पर कहीं भी सड़क क्रॉस करने की कोई व्यवस्था नहीं है। पैदल यात्रियों को इस पार से उस पार जाने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ता है। लोगों की इस बड़ी परेशानी को दूर करने के लिए लगभग 300 करोड़ की लागत से बने बीआरटीएस के 8 बस स्टेशन के पास फुट ओवरब्रिज (एफओबी) बनने वाले थे, लेकिन मेट्रो और फ्लायओेव्हर ब्रिज के प्रोजेक्ट आने से एफओबी धरातल पर आने से पहले ही धराशाई हो गया। भले सरकार ने एफओबी प्रोजेक्ट को निरस्त कर दिया हो लेकिन आज भी बीआरटीएस पर मेट्रो ओर फ्लायओवर से ज्यादा एफओबी की आवश्यकता है।

तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री  विजयवर्गीय ने दी थी मंजूरी
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजवर्गीय 2015 में जब सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री थे, तब उन्होंने इस प्रोजेक्ट को मंजूर किया था। उस समय इंदौर में  मेट्रो ओर फ्लायओवर ब्रिज दोनो ही प्रोजेक्ट नही आये थे। एफओबी प्रोजेक्ट की लागत जेएनएनयूआरएम योजना अंतर्गत 50 प्रतिशत राशि भारत सरकार द्वारा तथा 20 प्रतिशत राशि राज्य शासन द्वारा दी जाना थी तथा शेष 30 प्रतिशत राशि नगर निगम को वहन करना थी। प्रोजेक्ट की डीपीआर बनने के बाद आगे कोई काम नहीं हुआ और अंतत: यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया।

अभी कुछ नही बिगड़ा है फिर से जीवित हो सकता है प्रोजेक्ट
प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने के लिए इतनी सब तैयारी होने बाद भी कोई कुछ नही कर सका। हालांकि अभी भी कुछ नही बिगड़ा है, अगर महापौर, नगर निगम, आईडीए, पीडब्ल्यू एवं जिला प्रशासन के अधिकारी  विचार करे तो प्रोजेक्ट फिर से जीवित हो सकता है, क्योकि अभी न तो मेट्रो का कोई अता – पता है और न फ्लाय ओवर ब्रिज का। दोनो प्रोजेक्टों को कॉरिडोर पर लाने की बजाय कॉरिडोर पर एफओबी बना दिया जाए तो शहरवासियो को ज्यादा राहत मिलेगी।

रोड क्रॉस करने की कोई व्यवस्था नही, रोज होती है परेशानी
बीआरटीएस में सबसे ज्यादा पैदल यात्रियों को रोड पार करने में सबसे ज्यादा  परेशानी आती है। हर समय दुर्घटना का डर बैठा रहता है, क्योकि बीआरटीएस पर पैदल यात्रियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। जब एमआईसी में यह मुद्दा उठा तब पूर्व महापौर ने तत्काल लिफ्ट  फुट ओवर ब्रिज बनाने का निर्णय लिया गया था।

कॉरिडोर के इन स्थानों पर बनने वाले थे लिफ्ट एफओबी
प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम कॉरिडोर के जिन 8 स्थानों पर लिफ्ट एफओबी बनाने के लिए स्थान तय किये थे  वे है

  • एलआईजी चौराहा बस स्टेशन
  • शालीमार टाउनशिप बस स्टेशन
  • पलासिया चौराहा बस स्टेशन
  • नेहरू स्टेडियम बस स्टेशन
  • विजय नगर बस स्टेशन
  • सी-21 मॉल बस स्टेशन
  • गीता भवन चौराहा बस
  • भंवरकुआं बस स्टेशन

फेक्ट फाइल
● 2013-14 में बीआरटीएस शुरू हुआ
● 2015 में फुट ओव्हर ब्रिज को सरकार ने मंजूरी दी 
● तात्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजवर्गीय ने एफओबी की डीपीआर बुलवाई
● निगम ने  कॉरिडोर पर 8 एफओबी के स्थान तय किए
● पहली डीपीआर में एस्केलेटर बनाने की योजना थी
● बाद में डीपीआर में संशोधन करते हुए एस्केलेटर के स्थान पर लिफ्ट लगाना तय हुआ था।
● 2019 में मेट्रो और फ्लाय ओव्हर ब्रिज के प्रोजेक्ट आ गए।
● दोनों प्रोजेक्टों के आने से सरकार ने एफओबी प्रोजेक्ट को निरस्त कर दिया।

लेखक :- विपिन नीमा

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