Indore Dil Se
News & Infotainment Web Channel

वतन की है पुकार : फिर सुभाष चाहिए

248

भगत सिंह सुखदेव राजगुरु, और आज़ाद चाहिए।
वतन की है पुकार ये, अब फिर सुभाष चाहिए॥

जल रहे हैं लोग बस, दिल मे ही नफ़रत लिए।
भाई है प्यासा ख़ून का, भाई से अदावत लिए॥
मज़हब के नाम पे, ये खूनी खेल रोकना होगा।
मजहब का सियासत से, ये मेल रोकना होगा॥
नफ़रत की नहीं दिल में, बग़ावत की आग चाहिए।
वतन की है पुकार ये, अब फिर सुभाष चाहिए॥

एक ओर सीमा पर, सैनिकों ने ख़ून बहाया है।
तो दूजी ओर गद्दारो ने, वतन बेचकर खाया है॥
गद्दारो को अब यहाँ, सबक सही सिखलाना होगा।
चौराहो पर सरेआम ही, फांसी पर लटकाना होगा॥
समझौता क्या इनसे, बस सम्पूर्ण विनाश चाहिए।
वतन की है पुकार ये, अब फिर सुभाष चाहिए॥

अपने ही वोट से हमे यूं, कब तक चोट मिलती रहेगी।
ये आग भ्रष्टाचार की, कब तक यूं निगलती रहेगी॥
पानी नहीं इसे बुझाने, अपना ख़ून बहाना होगा।
दिलो मे अंगार लिए, अब सड़कों पर आना होगा॥
एकल नहीं इसके लिए, संगठित प्रयास चाहिए।
वतन की है पुकार ये, अब फिर सुभाष चाहिए॥

है हर इंसा के दिल में, सुभाष कहीं सोया हुआ।
स्वार्थ और लालच में कहीं, दबा हुआ खोया हुआ॥
सोये हुये सुभाष को, इस दिल मे जगाना होगा।
भारतपुत्रों देश बचाने, सबको आगे आना होगा॥
जोश भरे भारतवासी, नहीं ज़िंदा लाश चाहिए।
वतन की है पुकार ये, अब फिर सुभाष चाहिए॥

समझें जीवन मूल्य, खुद से क्रांति की शुरुवात हो।
स्वयं को बदले पहले, फिर औरों से कोई आस हो॥
है देशप्रेम तो देश वास्ते, ये क़ुरबानी करनी होगी।
औरो से पहले खुद अपनी, नीयत ही बदलनी होगी॥
गैरो से पहले खुद अपनी, रूह से जवाब चाहिए।
वतन की है पुकार ये, अब फिर सुभाष चाहिए॥
वतन की है पुकार ये, अब फिर सुभाष चाहिए॥

Author: Atul Jain Surana

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Contact to Listing Owner

Captcha Code