बस एक ही तमन्ना है
दिखा दो कोई एक घर… जिसमे परेशानी ना हो..।
खाते हो सब एक थाली मे… रोटियो मे बेईमानी ना हो..
मज़हब ना नज़र आए.. .ढूंढ लाओ एक कस्बा कोई..
मतलब ना नज़र आए… ढूंढ लाओ ऐसा जज़्बा कोई..
दे दो बस एक दोस्त… जो हर पुकार मे साथ हो..
आँधी आए या तूफान… बहानो मे ना कोई बात हो.।
जहाँ इंसानियत की पूजा हो… बना दो एक मंदिर ऐसा…।
दुआ निकले किसी और के लिए… हर बंदा हो भाई जैसा…।
चला दो एक रफ्तार कोई… जिसमे आदमी खुद से भागता ना हो…।
दो पहर की जिंदगी के लिए… रातो रात जागता ना हो…।
लगा दो एक सिफर इंसान मे… शकल से अकल की बात हो…।
बस एक ही तमन्ना है… किसी एक से शुरुआत हो..।
Author: Govind Gupta (गोविंद गुप्ता)