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लता मंगेशकर को भावपूर्ण श्रद्धांजलि

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देवी अहिल्या कि इस इंदौर नगरी की और से इंदौर की बेटी व अमर गायिका, भारत रत्न, स्वर कोकिला, सर्वाधिक गाने का  विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली महान शख्सियत, विश्व धरोहर, स्वर्गीय लता मंगेशकर को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

मुंबई। इंदौर मे जन्म लेकर मध्यप्रदेश को धन्य करने वाली सुरों की सरस्वती लता दीदी अब हमारे बीच नही रही। लम्बे समय से बीमारी से लड़ रही लता जी आखिरकार बीमारी से हार गयी।

28 सितंबर 1929 को इंदौर मे जन्मी लता जी का गायन का सफर लगभग 70 साल रहा। उनके मुकाबले आज तक कोई गायक नही रहा। लगभग 2 वर्षो मे उनकी मौत की कई बार खबरें चली लेकिन इस बार यह खबर सच मे हमसे सुरों की सरस्वती को ले गयी। मल्टी ऑर्गन फेल के चलते वे चली गयीं। ब्रीच केंडी अस्पताल मे उनका अवसन हुआ। देश ही नही विदेशो मे भी इस खबर से शोक की लहर फैल गयी।

92 साल की स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar Demise) आखिरकार जिंदगी से अपनी जंग हार गईं। लाखों-करोड़ों दिलों की धड़कन लता मंगेशकर का कोरोना की वजह से निधन हो गया। लता मंगेशकर ने ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल (Breach Candy Hospital) में आखिरी सांस ली। लता मंगेशकर के साथ ही वो मीठे सुरों से सजी 6 दशकों का वो खूबसूरत सफर का भी अंत एकसाथ हो गया जिसे सिंगर ने अपनी आवाज से पिरोया था। हालांकि, 28 सितंबर 1929 को जन्मीं पूरे देश की चहेती लता मंगेशकर ने भले अपनी सांसें बंद कर ली हों लेकिन उनकी आवाज की वो मिठास हर धड़कन में हमेशा-हमेशा जिंदा रहेगी।

लता मंगेशकर में कोरोना के हल्के लक्षण थे जिसके बाद उन्हें 8 जनवरी शनिवार की रात ही ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, उनके हॉस्पिटलाइजेशन की खबर 11 जनवरी मंगलवार को सामने आई। उनकी उम्र को देखते हुए लता मंगेशकर को एहतियातन आईसीयू में रखा गया था। बीच में एक बार तबीयत बिगड़ने की भी खबर आई लेकिन इसके बाद उनकी हालत में सुधार की खबरों ने उनके करोड़ों फैन्स को तसल्ली दी। लोग लगातार उनके स्वस्थ होने की दुआएं कर रहे थे।

यहां बता दें कि लता मंगेशकर ने 28 सितम्बर 2021 को अपना आखिरी बर्थडे भी सेलिब्रेट नहीं किया था। जहां देशभर से लोगों ने उन्हें जन्मदिन की बधाई भेजी थी, वहीं कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया था कि लता मंगेशकर कोरोना वायरस की वजह अपना यह बर्थडे सेलिब्रेट नहीं कर रही हैं। एक रिपोर्ट में लता मंगेशकर के बयान का भी जिक्र किया गया था जिसमें सिंगर की ओर से कहा गया था, ‘कोरोना महामारी को एक साल से ज्यादा हो गया है। कोरोना वायरस आने के बाद यह मेरा दूसरा जन्मदिन है। ऐसे सबसे बड़ा गिफ्ट यही है कि मेरे परिवार के लोग मेरे साथ हैं। ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने एक साल से ज्यादा समय से अपने पैरंट्स और बच्चों की शक्ल नहीं देखी हैं। ऐसे वक्त में कौन केक और कैंडल के बारे में सोचता है?

भारत रत्न से सम्मानित गायिका ने आगे कहा, ‘मैं चाहती हूं कि यह वायरस हमारी जिंदगी से चला जाए। हो सकता है कि यह अब जानलेवा न हो लेकिन इसके बार-बार लौटकर आने से बहुत से लोग डिप्रेशन में चले गए हैं। पिछले डेढ़ साल ने हमारी जिंदगियां पूरी तरह बदल दी हैं। आइए, अपने स्वास्थ्य और प्रियजनों को हल्के में न लें। उनके साथ बिताया हर पल कीमती है।’

उनका जन्म 28 सितम्बर 1929 मे इंदौर के सिख मोहल्ले में हुआ था। जिस चालनुमा घर में वे पैदा हुई थीं, वह उस समय वाघ साहब के बाड़े के रूप में जाना जाता था। सात साल की उम्र तक वे इंदौर में इसी घर में रहीं। इसके बाद उनका परिवार महाराष्ट्र चला गया।

लता जी के इंदौर से जाने के बाद इस घर को एक मुस्लिम परिवार ने खरीदा। यह परिवार कुछ साल यहां रहा और फिर इस घर को बलवंत सिंह को बेच दिया। बलवंत सिंह लंबे समय तक इस घर में रहे। बाद में उन्होंने इसे नितिन मेहता के परिवार को बेच दिया। मेहता परिवार ने घर के बाहरी हिस्से में कपड़े का शोरूम खोला। मेहता परिवार ने सबसे पहले घर का कायाकल्प करवाया। यह परिवार लताजी की देवी की तरह पूजा करता है। शोरूम खोलने से पहले वे हर दिन उनका आशीर्वाद लेते हैं। उन्होंने शोरूम के एक हिस्से में लताजी का म्यूरल बनवाया है।

जन्म के बाद से लताजी का ज्यादातर जीवन मुंबई में बीता, लेकिन इंदौर को वे कभी नहीं भूलीं। अपने जन्म स्थान के लोगों से मिलकर उन्हें बेहद खुशी होती हैा। उन्हें इंदौर के सराफा की खाऊ गली अब भी याद है। यहां के गुलाब जाबुन, रबड़ी और दही बडे़ उन्हें बेहद पसंद थे। इंदौर के लोगों से मिलकर वे अब भी अक्सर पूछती हैं- सराफा तसाच आहे का? यानी क्या सराफा अभी भी वैसा ही है।

लता मंगेशकर ने छोटी उम्र से संगीत सीखना शुरू किया था। लता मंगेशकर को गाने के लिए बढ़ावा देने वाले कोई और नहीं बल्कि उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर (Deenanath Mangeshkar) थे जो खुद भी एक क्लासिकल सिंगर थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लता मंगेशकर ने 1 हजार से ज्यादा हिंदी फिल्मों और 36 क्षेत्रीय फिल्मों में गाना गाया है। कुल मिलाकर लता मंगेशकर ने 5,000 से अधिक गानों में अपना आवाज दी है और यह आकड़ा अपने आपमें अनूठा है। लता मंगेशकर ने मधुबाला से लेकर ऐश्वर्या राय तक के लिए अपनी आवाज दी है।

लता मंगेशकर ने छोटी उम्र से संगीत सीखना शुरू किया था। लता मंगेशकर को गाने के लिए बढ़ावा देने वाले कोई और नहीं बल्कि उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर (Deenanath Mangeshkar) थे जो खुद भी एक क्लासिकल सिंगर थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लता मंगेशकर ने 1 हजार से ज्यादा हिंदी फिल्मों और 36 क्षेत्रीय फिल्मों में गाना गाया है। कुल मिलाकर लता मंगेशकर ने 5,000 से अधिक गानों में अपना आवाज दी है और यह आकड़ा अपने आपमें अनूठा है। लता मंगेशकर ने मधुबाला से लेकर ऐश्वर्या राय तक के लिए अपनी आवाज दी है।

उनकी सफलता सभी जानते है, हम बस यही कहेंगे इंदौर को लेकर उनका खास लगाव था शहर की प्रगति देख उन्हे हमेशा गर्व महसूस होता था, हम सभी उन्हे बहुत याद करेंगे।

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