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उच्च शिक्षा को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की जरुरत – राज्यपाल

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इंदौर : प्रदेश के राज्यपाल श्री ओ.पी.कोहली ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुये युवाओं का आह्वान किया कि वे भारत को विकासशील देश की श्रेणी से निकालकर विकसित देशों की श्रेणी में शामिल करें। इसके लिये वे पूर्ण लगन एवं समर्पण भाव से सामाजिक सरोकार रखते हुये अपनी शिक्षा का बेहतर उपयोग करें। वैश्विकरण के युग में नयी तरह की चुनौतियाँ हमारे सामने हैं। आज के दौर में प्रतिस्पर्धा का दायरा बढ़ गया है। प्रतिस्पर्धा की चुनौती से निपटने के लिये उच्च शिक्षा का प्रसार अत्यंत जरूरी है।

देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इस दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता जी.एल.ए. विश्वविद्यालय मथुरा के कुलपति तथा भारतीय विश्वविद्यालय संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डी.एस.चौहान ने की। इस अवसर पर विधायक एवं महापौर श्रीमती मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़, विधायक सुश्री उषा ठाकुर तथा देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति श्री नरेन्द्र धाकड़ विशेष रूप से मौजूद थे। कार्यक्रम में वर्ष 2012-13 एवं 2013-14 के दौरान शोध कार्य करने वाले शोधार्थियों को उपाधि तथा उत्कृष्ठ उपलब्धि हासिल करने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण तथा रजत पदक वितरित किये गये।

समारोह को सम्बोधित करते हुये राज्यपाल श्री ओ.पी.कोहली ने कहा कि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है। यह प्रदेश का ऐसा पहला विश्वविद्यालय है जिसे नेक द्वारा “ए’ ग्रेड मिला है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय में शामिल किया जाना चाहिये,इसके लिये इस विश्वविद्यालय में अपार संभावनायें विद्यमान है। उन्होंने कहा कि इसके लिये विश्व के अच्छे विश्वविद्यालयों के साथ इस विश्वविद्यालय को जोड़ने की जरुरत है। उन्होंने उच्च शिक्षा के प्रसार की आवश्यकता बताते हुये कहा कि हम उच्च शिक्षा से वंचित युवाओं को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराकर देश की बड़ी शक्ति का उपयोग देश के विकास में कर सकेंगे। भारत विश्व का ऐसा पहला देश है जहाँ पर 50 प्रतिशत से अधिक संख्या में युवा हैं। इन युवाओं की शक्ति का उपयोग देश की समृद्धि में करना होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने की भी जरुरत है। बगैर सामाजिक सरोकार के शिक्षा का मूल्य अधूरा है। उन्होंने विज्ञान, प्रबंधन एवं तकनीकी शिक्षा के साथ वर्तमान में सामाजिक विज्ञान एवं कला संकाय के प्रति युवाओं की रुचि बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा कि सामाजिक विज्ञान एवं कला संकाय के प्रति युवाओं का रुझान कम होने से शिक्षा में असंतुलन पैदा हो रहा है। इस असंतुलन को दूर करने के लिये सामाजिक सरोकारों से जुड़े सामाजिक विज्ञान एवं कला संकाय की शिक्षा का प्रसार बढ़ाना चाहिये। राज्यपाल श्री कोहली ने युवाओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि विमुद्रीकरण के समय जरुरी है कि वे यह संकल्प लें कि प्रत्येक शिक्षित युवा कम से कम दस युवाओं को कैशलेस ट्रांजेक्शन के लिये प्रेरित करें।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये जीएलए विश्वविद्यालय मथुरा के कुलपति प्रो. डी.एस.चौहान ने कहा कि भारत में शिक्षा का स्तर विश्व के कई देशों की तुलना में बहुत अच्छा है। अगर हमारे विश्वविद्यालयों के बजट को दो से तीन गुना कर दिया जाये, तो हमारे यहां के विश्वविद्यालय विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शामिल हो जायेंगे। हमारे देश में विश्वविद्यालयों द्वारा कम बजट में बेहतर गुणवत्ता की शिक्षा दी जा रही है। उन्होंने शिक्षा में भारतीय भाषाओं के प्रसार की जरुरत बताते हुये कहा कि अपनी मातृभाषा से व्यक्ति में संवेदना आती है और वह अपनी अभिव्यक्ति बेहतर तरीके से कर सकता है। ज्ञान के साथ संवेदना भी होना जरुरी है।

महापौर श्रीमती मालिनी गौड़ ने कहा कि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा दीक्षांत समारोह प्रतिवर्ष नियमित रूप से आयोजित किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन से युवाओं को उच्च शिक्षा के लिये प्रेरणा मिलती है। उच्च शिक्षा युवाओं को सकारात्मक दिशा में ले जाती है। कार्यक्रम के प्रारंभ में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.नरेन्द्र कुमार धाकड़ ने स्वागत भाषण दिया तथा उन्होंने विश्वविद्यालय की अकादमिक प्रगति की जानकारी दी।

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