इंदौर | होटल श्रीमाया रेसीडेंसी में जिला प्रशासन के तत्वावधान में प्रसव पूर्व एवं गर्भाधान पूर्व निदान तकनीक अधिनियम (पीसी ऐण्ड पीएनडीटी ऐक्ट) के तहत चिकित्सकों की उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का उदघाटन कलेक्टर श्री आकाश त्रिपाठी ने किया। श्री त्रिपाठी ने चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि जिले में पीसी ऐण्ड पीएनडीटी ऐक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन किया जायेगा। जिले में लिंगानुपात सुधारने के लिए ऐसा किया जाना अत्यावश्यक है। स्त्री-पुरूष लिंगानुपात चिकित्सकीय मामला होने के साथ-साथ यह एक सामाजिक समस्या भी है। जिले के सभी सोनोग्राफी सेन्टर्स पीसी ऐण्ड पीएनडीटी ऐक्ट के साथ-साथ मेडिकल टर्मिनेशन आॅफ प्रिग्नेंसी ऐक्ट (एमटीपी) का पालन भी किया जाये। इन अधिनियमों का उल्लंघन करने वाले सोनोग्राफी सेन्टर्स के पंजीयन निरस्त किये जाएंगे तथा ठोस सबूत मिलने पर कानूनी कार्यवाही भी की जायेगी।
अपर कलेक्टर श्री सुधीर कुमार कोचर ने इस अवसर पर कहा कि जिले में स्त्री-पुरूष लिंगानुपात चिंताजनक है। राज्य और केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार जिले में पीसी ऐण्ड पीएनडीटी तथा एमटीपी ऐक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन जरूरी है। इसके लिये आज स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिससे अधिनियम के संबंध में चिकित्सकों की भ्रांतियां दूर हो सके। इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए जिला प्रशासन कृत संकल्पित है।
इस अवसर पर जिला पीसी ऐण्ड पीएनडीटी कमेटी की सदस्य तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. श्रीमती प्रियदर्शिनी पाण्डे ने बताया कि महिला रोग विशेषज्ञों द्वारा विशेष परिस्थितियों में जैसे बलात्कार, मानसिक और शारीरिक स्थिति ठीक न होने पर ही गर्भपात किया जा सकता है। गर्भ की जाँच और गर्भपात दोनों गोपनीय रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिला की जाँच पात्र चिकित्सक ही कर सकते हैं। डाॅ. पाण्डे ने बताया कि सोनोग्राफी सेन्टर चलाने वाले चिकित्सकों का पीएनडीटी एवं एमटीपी ऐक्ट के तहत पंजीयन अनिवार्य है। उनके क्लिनिक या नर्सिंग होम का पंजीयन भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि बीस सप्ताह से अधिक समय से गर्भवती महिला का गर्भपात करना और कराना कानूनन अपराध है। उन्होंने बताया कि एमबीबीएस चिकित्सक शासकीय मेडिकल काॅलेज में छः माह तक प्रशिक्षण के उपरान्त ही गर्भपात करने के लिए पंजीयन करा सकते हैं। पीएनडीटी ऐक्ट के संबंध में शिकायत होने पर संबंधित मजिस्ट्रेट द्वारा 24 घंटे में जाँच कर 48 घंटे में रिपोर्ट प्रस्तुत करना जरूरी है। सोनोग्राफी सेन्टर संचालक गर्भपात के मामले में कानून का पालन करें तथा पूरी तरह पारदर्शिता बरतें। अवैध गर्भपात के लिए या कन्या भ्रूण हत्या के लिए चिकित्सक और रोगी दोनों समान रूप से जिम्मेदार होंगे। हर नब्बे दिन में सोनोग्राफी सेन्टर्स की जाँच की जायेगी। जिन चिकित्सकों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज होंगे उनके क्लिनिक का पंजीयन का नवीनीकरण नहीं किया जायेगा।
डाॅ. श्रीमती पाण्डे ने बताया कि पंजीकृत स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक ही गर्भवती महिला को गर्भपात की दवा लिख सकेंगे। गर्भवती महिला का गर्भपात करने के लिए संबंधित चिकित्सालय में आॅपरेशन की समस्त सुविधाएं, विशेषज्ञ चिकित्सक और परिवहन के लिए एम्बुलेंस होना अनिवार्य है। प्रजनन संबंधी किसी भी चिकित्सक के लिए अलग से पंजीयन जरूरी है। 12 सप्ताह के बाद यदि गर्भपात किया जाता है तो उसके लिए दो चिकित्सकों की सहमति जरूरी है। कार्यक्रम को मध्यप्रदेश वालेन्टरी एसोसिएशन के डाॅ. मुकेश कुमार सिन्हा और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. महेश मालवीय, नोडल अधिकारी श्री सतीश जोशी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में चिकित्सक मौजूद थे।