सन्देश प्रकृति का
तुम्हारी जिज्ञासा और मेरा कौतूहल
एक दिन पहुँचे क्षितिज के पास,
अठखेलियाँ करती परियाँ जहाँ
सतरंगे इन्द्रधनुष के साथ.
पुण्य आत्माएँ बसती वहाँ
शुभ्र बादलों के साथ .
सभी ग्रहों के प्राणी मिलकर
खूब रंग जमाते एक साथ .
चंदा तारे नाचते गाते
धूम मचाते मिल कर साथ.
सूरज देता उजला सन्देश
अपने उष्ण प्रेम के साथ.
सर्वत्र बसता है वहाँ
अटूट प्रेम का संसार .
तुम्हारी जिज्ञासा और मेरा कौतूहल
एक दिन पहुँचे क्षितिज के पास.
वापस आकर दोनों ने सोचा …..
सूरज, चंदा, तारे, बादल,
सब मिलकर हमको भी
देते प्रेम का सन्देश.
फिर क्यों न बसायें हम भी
इस धरती पर ऐसा ही संसार
प्रेम और घृणा दोनों मिल कर
जहाँ करे आपस में प्यार.
Author: शील निगम