कीट वृद्धि में सहायक है, मौसम का बदलाव
शिवपुरी (IDS-PRO) जिले में वर्तमान रबी मौसम में चना फसल बोई गईं है। सामान्य रूप से फसल की स्थिति अच्छी है किन्तु मौसम में बदलाव एवं लगातार बादल छाए रहने पर चने के कीटों की सक्रियता बढ़ने की संभावित है इसके लिए किसानों को प्रारंभ से ही सामान्य एकीकृत नियत्रंण के प्रयास करने की सलाह दी जा रही है।
उपसंचालक कृषि ने बताया कि चने के कीटों में से प्रमुख-कटुआ, इल्ली, हरी अर्ध कुण्डक इल्ली, तम्बाकू इल्ली तथा तना छेदक इत्यादि है। इनमें से पौधे की प्रारंभिक अवस्था से ही हरी सेमी लूपर इल्ली पत्तियां, शाखाओं तथा फूल और फली को भी नुकसान पहुंचाती है। अन्य प्रकार की इल्लियां भी पौधे की विभिन्न अवस्थाओं में आक्रमण कर फसल को क्षति पहुंचाते हैं जिसका प्रभाव चने की उत्पादकता पर पड़ता है।
चने की इल्ली पर नियंत्रण के लिए खेत में स्थान-स्थान पर फंसेदार या अंग्रेजी के टी अक्षर आकार की खूंटियां गाड़ देनी चाहिए। इससे इल्ली खाने वाले पक्षियों को बैठने के लिए ठिकाना मिलता है, ताकि वे सरलता से कीट का शिकार करते हैं। नीम तथा निबौली के आसवन से बनाया सत् तथा नीम से बने कीटनाशक का छिड़काव भी प्रारम्भिक अवस्था में नियंत्रण के सरल उपाय हैं। एन.पी.वायरस का घोल फसल पर छिड़काव से भी इल्लियों पर एक विषाणु रोग लग जाता है और वे मर जाती हैं। इसी प्रकार का एक और उपाय फैरोमेन ट्रेप है। इस ट्रेप के माध्यम से कीट प्रकोप की प्रारंभिक सूचना प्राप्त होती है, साथ ही नर कीटों की संख्या को नियंत्रित किया जाता है और कीटों की वृद्धि पर रोक लगाई जाती है। प्रकाश प्रपंच भी इल्लियों के व्यस्क कीटों को प्रकाश की ओर आकर्षित कर नियंत्रण की एक सरल विधि है।
रासायनिक नियंत्रण के लिए क्वीनालफाॅस 25 ईसी 1.25 लीटर प्रति हैक्टर या ट्राइजोफाॅस 40 ईसी एक लीटर प्रति हैक्टर या प्रोफेनोफाॅस 50 ईसी एक लीटर प्रति हैक्टर, 400 से 500 लीटर पानी में अच्छी तरह घोल बना कर पौधो पर तथा खेत की मेड़ों पर छिड़काव करें। इस संबंध में निकटस्थ कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि अधिकारी से परामर्श कर, रसायनों का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। समस्त मैदानी कार्यकर्ताओं को भी निर्देशित किया जाता है कि वे खेतों का नियमित निरीक्षण कर किसी भी असामान्य स्थिति में कृषकों को आवश्यक सामयिक सलाह उपलब्ध कराएं।