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Poet’s Corner

A collection of Poems. . . .

प्रिये कान्हा

नभ का श्यामल वर्ण था कान्हा की तरह... धरती का रंग था धानी चूनर ओढ़े राधा की तरह झुका हुआ नीलगगन ओस से भीगी धरा बरसते मेघ लरजती देह चूमने को व्यग्र आकाश सितारों जड़ी विभावरी उठ गया ज्यों घूंघट शर्म हया से पगा अरुणिम सा सुर्ख सूरज पलकों को वो…
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पत्थर

पत्थरों को पूजते पूजते अब तक रे मन.. क्यों नही पत्थर हुआ तू रे... जग की विद्रूप हंसी के सम्मुख... व्यंग बाणों के आमुख... क्यों नही पत्थर हुआ तू रे... क्यों अलापता बेसुरे राग रे मन... क्यों सिसकता बंद पंछी सा रे मन... क्यों नही पत्थर हुआ तू…
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बदल रहा है

यह सवाल कई दिन से मेरे मन में चल रहा है, जो कल तक दिल में था आज क्यों बदल रहा है, जो मेरे विचारों का सूरज था आज क्यों ढल रहा है, दुश्मनी पे क्यों उतारू है जानने को दिल मचल रहा है, दिल का आइना देखा तो जान पाया कि. वोह तो किसी और के सांचे में…
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किताबों की दुनिया

किताबों का एक अनोखा संसार है जिसमे ज्ञान का अक्षय भण्डार है मानो या न मानो किताबों से ही जीवन में बहार है किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं जो हमें जीना सिखाती हैं शिक्षिका के रूप में हमें पढ़ाकर साक्षर बनाती हैं किताबें परियों की कहानी…
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अंजानो से रिश्ते

अनजाने में ही जुड़ जाते हैं... कोई हमारे रकीब बन जाते हैं... बिना देखे ही... करीब, करीब और करीब आ जाते हैं... कर्मयुद्ध के तनावों को भूलकर... ना जाने किसका... नसीब बन जाते हैं... तकदीर से... उनके दिल में... न जाने कब... बस जाते हैं... जिसके…
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याद रखना

वफ़ा में कुछ कमी थी याद रखना, मगर तू ज़िन्दगी थी याद रखना ! नमी-सी कुछ तेरी आँखों में पाकर, कोई दुनिया जली थी याद रखना ! जो सूखा फूल बिखरा है ज़मीं पर, कभी वो भी कली थी याद रखना ! रहे वो दिल में या जब तक नज़र में, यहाँ भी रोशनी थी याद रखना…
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तुम क्यों सोचोगे ?

तुम क्यों सोचोगे????? कितनी बेबस कितनी लाचार जीवन जीना है दुश्वार क्या भूलकर भी तुमने कभी पल भर को सोचा तुम क्यों सोचोगे क्योंकि तुम तो छलते आये हो युगों युगों से .... कभी सिद्दार्थ बनकर यशोधरा को रुलाया कभी लक्ष्मण बनकर उर्मिला को सताया…
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इज़ाजत दे दो

खुद को इस दिल मेँ बसाने की इज़ाजत दे दो, मुझको तुम अपना बनाने की इज़ाजत दे दो, तुम मेरी ज़िन्दगी का एक हसीन लम्हा हो, फूलोँ से खुद को सजाने की इज़ाजत दे दो, मैँ कितना चाहता हूँ किस तरह बताऊँ तुम्हेँ, मुझे ये आज बताने की इज़ाजत दे दो, तुम्हारी…
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यादो की टीस

बातों बातों मे जब अक्सर, बात तुम्हारी आती है. एक टीस सी दिल मे उठती है, जब याद तुम्हारी आती है. पल पल इस पागल मन को, कितना मैं समझाता हूं. उलझाकर इसको इधर उधर, कितना मैं बहलाता हूं. सन्नाटे मे भी पर मुझको, आवाज तुम्हारी आती है. एक टीस सी…
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आओ हम होली मनाये

मेट कर मन की कलुषता, प्यार की गंगा बहाये आओ हम होली मनाये अहम् का जब हिरनकश्यप, प्रबल हो उत्पात करता सत्य का प्रहलाद उसकी कोशिशों से नहीं मरता और ईर्ष्या, होलिका सी, गोद में प्रहलाद लेकर चाहती उसको जलाना, मगर जाती है स्वयं जल शाश्वत सच, ये…
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