” जीजी “
“अरे सुन, बेटा ये लाइट यहाँ लगा और ये फूलों की झालर ऊपर लेजाकर लगा दे और सुमनिया तू तो सजधज कर अभी तक यहीं खड़ी है अरे जल्दी जाकर देख हरीश भैया तैयार हुआ की नहीं ? पांडे जी की खुशी उनके हर काम से मानो छलक –छलक कर बाहर आ रही थी। खुशी की तो…
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