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Poets Corner

एक प्राथना मेरी साईनाथ से

जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनियां छूटी जाय हम आऐ सांई के द्वारे धरती कहीं भी जाय चहूं ओर तूफ़ान के धारे, मैली हवा वीरान किनारे जीवन नैया सांई सहारे फिर भी चलती जाय जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनिया छूटी जाय नाम सिमरले जब तक दम है, बोझ ज़ियादा…
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याद तुम्हारी

नदिया के हिलोरों सी याद तुम्हारी, त्योहारों के उल्लास सी याद तुम्हारी. कुम्हार की माटी की सोंधी महक सी याद तुम्हारी, समंदर की रेत के शंख सीपियों सी याद तुम्हारी. परायों के बीच अपनत्व का भान कराती याद तुम्हारी, फिर क्यों नित सांझ उदास करती…
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दो वक़्त की रोटी

काश दो वक़्त की रोटी सबके किस्मत में होती, न होती कही छिना झपटी न होता देह व्यापार, न टूटती सपनो की माला न बिखरते मोती, काश दो वक़्त की रति सबके किस्मत में होती. न होती इस तरह जिन्दगिया ख़राब , न होती युवा हाथो में शराब, न सिसकता रहता बुढ़ापा,…
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माँ तो माँ है

माँ तो माँ है 'माँ' जिसकी कोई परिभाषा नहीं, जिसकी कोई सीमा नहीं, जो मेरे लिए भगवान से भी बढ़कर है जो मेरे दुख से दुखी हो जाती है और मेरी खुशी को अपना सबसे बड़ा सुख समझती है जिसकी छाया में मैं अपने आप को महफूज़ समझती हूँ, जो मेरा आदर्श है…
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चाँद का फलक

चलो गगन तक घूम आयें पंछियों सी उड़ान भर आयें ओस की झरती बूंदों में भीग आयें हवा की सरगोशियों में पत्तों कीसरसराहट सुन आयें पर्वतो के देवदार की सवारी कर आयें कुछ आवारा बादलों से आंखमिचौनी खेल आयें नन्हे सितारे आँचल में भर लायें चलो चाँद का…
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माँ का गीला बिछौना

कुछ भूल से गए हो तुम माँ का गीला बिछौना तुम्हारा सुख से सूखे में सोना नींद से उठकर तुम्हे कम्बल में ढंकना क्या केवल फ़र्ज़ था उनका पापा के कंधे पर बैठ .. दुनिया की सैर करना क्या तुम सच भूल गए हो.. ''पाटी पूजा'' कर लिखा स्लेट पर ''अ'' से…
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साईं का साथ

जब कोई तूफ़ान हमें दिल से हिला जाता है तब साईं बाबा का साथ ही हमें बचा पाता है... उस तूफ़ान से घबराकर हारने लगते है जब हम तो साईं का विश्वास ही हमें हौसला दे जाता है... सच तो ये है की जितना हम पल पल में टूटने लगते है उतना ही साईं का साथ है…
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सुखद सांस

वो क्रूरता का पुजारी था अर्थियों का व्यापारी था उसका न कोई मजहब था ना ही कोई जात थी उसने अस्पताल तक को ना छोड़ा मंदिर मस्जिद को भी तोडा इनके आकाओं ने सोचा भारत तो अमन का सौदागर है माफ़ कर ही देगा जबकि अंत में तुम्हारे जमीर ने ही.. तुम्हे नही…
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"दीदी" तुम्हारा "भाई"

"दीदी" तुम्हारा "भाई" एक रिश्ता - बड़ा अनाम सोचता हूँ दूं - उसे कोई अच्छा सा नाम . सावन सा उमड़ता - घुमड़ता रीझता हो . खिजाता हो - खीजता हो . कोई ऐसी हो इस जहाँ में - ऐ दोस्त जिसका दिल मेरे दर्द से - बेतरह पसीजता हो . जो लड़ सके दुनिया से…
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“दीदी” तुम्हारा “भाई”

"दीदी" तुम्हारा "भाई" एक रिश्ता - बड़ा अनाम सोचता हूँ दूं - उसे कोई अच्छा सा नाम . सावन सा उमड़ता - घुमड़ता रीझता हो . खिजाता हो - खीजता हो . कोई ऐसी हो इस जहाँ में - ऐ दोस्त जिसका दिल मेरे दर्द से - बेतरह पसीजता हो . जो लड़ सके दुनिया से…
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