इबारत ए इश्क
अन्फ़स (सुन्दर) ख्वाबों के मेरे शहज़ादे
सज़दे में तेरे मोती बिखराए रात भर
मेरी स्याह तन्हाई ...
सिसकियाँ सरगम सुनाती रहीं रातभर
हकीक़त ए हाल(सच्चाई ) जान मुस्काए चंदा कमबख्त
सितारों के कारवां की निगाहे रहम (करुण दृष्टि) पर
जीती रही रात भर...…
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