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Poets Corner

इज़हारे इश्क़

मेरे दिल के ज़ज़्बे की तुम्हे, कुछ खबर तो है. मेरी बातो का भी तुमपर, कोई असर तो है.. माना कि ज़ुबा से मैं ज़रा, काम कम लेता हूँ. पर इज़हारे इश्क़ करने को, झुकी नज़र तो है.. यूँ तो अंदाज़ आपके, हर बात बयाँ करते हैं. जवाब की फिर भी,…
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वतन की है पुकार : फिर सुभाष चाहिए

भगत सिंह सुखदेव राजगुरु, और आज़ाद चाहिए। वतन की है पुकार ये, अब फिर सुभाष चाहिए॥ जल रहे हैं लोग बस, दिल मे ही नफ़रत लिए। भाई है प्यासा ख़ून का, भाई से अदावत लिए॥ मज़हब के नाम पे, ये खूनी खेल रोकना होगा। मजहब का सियासत से, ये मेल रोकना…
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दूरीयाँ

तुम दूर रह के कहते हो , अब कोई दूरीयाँ कहाँ ! कितने हैं हम मजबूर , तुम्हे मजबूरीयाँ कहाँ ! क्या क्या करें जतन , के ये दिल चाहे ना जहां . अपना लुटा के चैन लो , बैठे हैं हम यहाँ . तुम दूर रह के कहते हो , अब कोई दूरीयाँ कहाँ ... चाहत से…
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हमसफ़र

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो यहाँ किसी को…
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एक हरी खाकी वर्दी की चीख

मैं नहीं जानता ;क्या कहते है मेरे देश के लोग , क्यूंकि मेरे लिए कोई नहीं जाता इंडिया गेट , कैंडल लिए क्या लिखते हैं अखबार , क्या चीखते है टीवी के लोग; क्यूंकि मानसिक रूप से विकसित लोग बहस नहीं करते ,मेरे लिए , वर्दियों से राशन तक , गोलियों…
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मुझे जानते हैं

आमने _सामने वाले तो मुझे जानते हैं ... हाँ मुझे जानने वाले तो मुझे जानते हैं ... जा हाथ थम ले जाकर किसी पराये का .. तुझे पहचाने वाले तो मुझे जानते हैं .. कोई दीवाना मोहब्बत में मर भी सकता है .. ये बात मानने वाले तो मुझे जानते हैं ..…
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औरत के मन की व्यथा

सोचती हूँ , चलती हूँ और फिर दोड़ती हु मै , आशाओ निराशाओ से भी आगे कुछ देखती हु मै...!पैदा हुई तो कुछ पर मुस्कुराहट और बाकि सभी चेहरों पर दुःख देखती हूँ मै अपने माँ बाप का प्यार तो मिला पर समाज के उपहास को नित्य झेलती हूँ मै...!!इस देश में…
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मैं

मैं गली गली में घूम रहा हूँ जैसे किसी नशे में झूम रहा हूँ मैं तो बस मैं को ढूँढ रहा हूँ जिस मैं को बचपन में पाया जवानी में जिस मैं का साथ निभाया बुढ़ापे में उस मैं को कहाँ भूल आया मैं गली गली में घूम रहा हूँ जैसे किसी नशे में झूम रहा हूँ…
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जब मैं छोटा था

जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी.. मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ, अब वहां "मोबाइल शॉप", "विडियो पार्लर" हैं, फिर भी सब सूना है..…
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जीवन की पहली शिक्षक माँ ही होती हे

जीवन की पहली शिक्षक माँ ही होती हे माँ चाहे अनपढ़ हो,, मगर हमारी पहली शिक्षक वाही होती है..!! एक छोटा बच्चा अपनी माँ से नाराज होकर चिल्लाने लगा मे तुमसे नफरत करता हूँ उसके बाद वह फटकारे जाने के डर से घर से भाग गया वह पहाड़ियों के पास जाकर…
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