वतन की है पुकार : फिर सुभाष चाहिए
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु, और आज़ाद चाहिए।
वतन की है पुकार ये, अब फिर सुभाष चाहिए॥
जल रहे हैं लोग बस, दिल मे ही नफ़रत लिए।
भाई है प्यासा ख़ून का, भाई से अदावत लिए॥
मज़हब के नाम पे, ये खूनी खेल रोकना होगा।
मजहब का सियासत से, ये मेल रोकना…
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