Indore Dil Se
News & Infotainment Web Channel

दीपावली है दीपों का त्यौहार

दीपावली, दीपों का त्यौहार , लाता खुशियाँ ढेर अपार , आता साल में एक ही बार , लगता है ये सबको प्यारा, रोशनी से भरता गगन को , बच्चे लड़ी, पटाखे और फूलझड़ी जलाते हुए, मिठाई, मेबे ,खील बताशे और खाते हुए, तरह-तरह के व्यंजन बनाती मम्मी, बच्चे पुरे…
Read More...

Jumbo 2 : The Return Of The Big Elephant

Review :- Jumbo is back. Unfortunately not with a bang. After having lost his father...and his mother...after waging an epic war against his arch enemy Bhaktavar (Remember the prequel?), this warrior elephant is all out to enjoy the little…
Read More...

तुम्हारे इंतज़ार में…

मैंने कितने ही ख़त लिखे तुम्हें बुलाने के लिए मगर तुम न आए तुम्हारे इंतज़ार से ही मेरी सहर की इब्तिदा होती दोपहर ढलती और फिर शाम की लाली की तरह तुमसे मिलने की मेरी ख्वाहिश भी शल हो जाती सारे अहसासात दम तोड़ चुके होते लेकिन उम्मीद की एक…
Read More...

माना हमारे ख़्वाब की ताबीर तुम नहीं

होठों पे नरम धूप सजाते रहे हैं हम आंखों में जुगनुओं को छुपाते रहे हैं हम माना हमारे ख़्वाब की ताबीर तुम नहीं पलकों पे इनको फिर भी सजाते रहे हैं हम हक़ दोस्ती का यूं तो अदा हो नहीं सका ख़ुद को मगर ज़रूर मिटाते रहे हैं हम ख़ुद अपनी ज़िन्दगी…
Read More...

तुम्हारे ख़त मुझे बहुत अच्छे लगते हैं…

तुम्हारे ख़त मुझे बहुत अच्छे लगते हैं क्यूंकि तुम्हारी तहरीर का हर इक लफ्ज़ डूबा होता है जज़्बात के समंदर में और मैं जज़्बात की इस खुनक (ठंडक ) को उतार लेना चाहती हूं अपनी रूह की गहराई में क्यूंकि मेरी रूह भी प्यासी है बिल्कुल मेरी तरह और…
Read More...

Force

Review :- A remake of the 2003 Tamil blockbuster Kaakha Kaakha, Force is a heady cocktail of high powered action and breezy romance that ensure there's never a dull moment. Director Nishikant Kamat too goes the Rohit Shetty-Abhinav Kashyap…
Read More...

आओ मन की गाँठें खोलें

यमुना तट, टीले रेतीले, घास फूस का घर डंडे पर, गोबर से लीपे आँगन में, तुलसी का बिरवा, घंटी स्वर. माँ के मुँह से रामायण के दोहे चौपाई रस घोलें, आओ मन की गाँठें खोलें. बाबा की बैठक में बिछी चटाई बाहर रखे खड़ाऊँ, मिलने वालों के मन में असमंजस,…
Read More...

मौत से ठन गई

ठन गई! मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था, रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई, यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई। मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं। मैं जी भर जिया, मैं मन से…
Read More...

Contact to Listing Owner

Captcha Code