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Poet’s Corner
A collection of Poems. . . .
बेआबरू इंसानियत
ज़लालत की ये अजब दास्ताँ है
सुन के बस कलेजा कांपता है
किसी मज़लूम, बेबस पे जो टूटे
ये जालिमों के ज़ुल्मों की इंतेहा है !
ज़लालत की ये अजब दास्ताँ है,
सुन के बस कलेजा कांपता है !
ज़माना इस हैवानियत पे हेराँ है
इसां, हालाते इंसानियत पे पशेमाँ है…
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फूलों से शोख उपवन
बसंत के सुरूर में ..
कुदरत ने लिखी इबारत..
कतीब (लिखी हुई).. खूबसूरत ग़ज़ल
गुलरुख(फूल से सुंदर) शेर से .. हर शाख को सजाया
फूलों से शोख उपवन को गुलजार किया
लाज की हरी पीली चूनर में
लजाई सी नववधू धरा को
वादियों ने बाहुपाश में बांधा है…
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एक घर की कहानी
पुछ मत सपनो में किस तरह मिलते है घर
देख ले आँखों में आशा की तरह पलते है घर
बेघरो से कभी पुछ तो... घर के सुकून की तिशनगी
जनम से मरने तक जिन्हें नहीं मिलते है घर...!!
तिनका -तिनका जोड़कर वोह ख्वाबो को अपने बुनता रहा ,
ख्वाब कभी तो हकीकत का…
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प्यारी सी बेटिया
आंगन में महकती खुशबू कि तरह
श्रद्धा में वो तुलसी कि तरह
हसती मुस्कुराती गुडिया कि तरह
बेटीया तो है सुंदर परियो कि तरह |
छोटी सी मुस्कान लेकर आती है
नन्हे कदमो से जब वो इठलाती है
तुत्लाकार जब वो कुछ कहती है
घर में खुशहाली छां जाती है |
छोटी…
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तुम मुझसे दूर हो
कौन कहता है कि तुम मुझसे दूर हो..
दूर रहकर भी तुम बिलकुल समीप हो..
नयन क्यों जोहें बाट तुम्हारी..
तुम तो बसे पलकों में मोतियों की लड़ी से..
नींदों में तुम्हारे प्यार का पहरा..
ख्वाबों में आते हो बाँध के सेहरा ..
जेहन में हमदम तुम छाये से…
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एक प्राथना मेरी साईनाथ से
जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनियां छूटी जाय
हम आऐ सांई के द्वारे धरती कहीं भी जाय
चहूं ओर तूफ़ान के धारे, मैली हवा वीरान किनारे
जीवन नैया सांई सहारे फिर भी चलती जाय
जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनिया छूटी जाय
नाम सिमरले जब तक दम है, बोझ ज़ियादा…
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याद तुम्हारी
नदिया के हिलोरों सी याद तुम्हारी,
त्योहारों के उल्लास सी याद तुम्हारी.
कुम्हार की माटी की सोंधी महक सी याद तुम्हारी,
समंदर की रेत के शंख सीपियों सी याद तुम्हारी.
परायों के बीच अपनत्व का भान कराती याद तुम्हारी,
फिर क्यों नित सांझ उदास करती…
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दो वक़्त की रोटी
काश दो वक़्त की रोटी सबके किस्मत में होती,
न होती कही छिना झपटी न होता देह व्यापार,
न टूटती सपनो की माला न बिखरते मोती,
काश दो वक़्त की रति सबके किस्मत में होती.
न होती इस तरह जिन्दगिया ख़राब ,
न होती युवा हाथो में शराब,
न सिसकता रहता बुढ़ापा,…
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माँ तो माँ है
माँ तो माँ है
'माँ' जिसकी कोई परिभाषा नहीं,
जिसकी कोई सीमा नहीं,
जो मेरे लिए भगवान से भी बढ़कर है
जो मेरे दुख से दुखी हो जाती है
और मेरी खुशी को अपना सबसे बड़ा सुख समझती है
जिसकी छाया में मैं अपने आप को महफूज़
समझती हूँ, जो मेरा आदर्श है…
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चाँद का फलक
चलो गगन तक घूम आयें
पंछियों सी उड़ान भर आयें
ओस की झरती बूंदों में भीग आयें
हवा की सरगोशियों में पत्तों कीसरसराहट सुन आयें
पर्वतो के देवदार की सवारी कर आयें
कुछ आवारा बादलों से आंखमिचौनी खेल आयें
नन्हे सितारे आँचल में भर लायें
चलो चाँद का…
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