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Poet’s Corner

A collection of Poems. . . .

मुझे जानते हैं

आमने _सामने वाले तो मुझे जानते हैं ... हाँ मुझे जानने वाले तो मुझे जानते हैं ... जा हाथ थम ले जाकर किसी पराये का .. तुझे पहचाने वाले तो मुझे जानते हैं .. कोई दीवाना मोहब्बत में मर भी सकता है .. ये बात मानने वाले तो मुझे जानते हैं ..…
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औरत के मन की व्यथा

सोचती हूँ , चलती हूँ और फिर दोड़ती हु मै , आशाओ निराशाओ से भी आगे कुछ देखती हु मै...!पैदा हुई तो कुछ पर मुस्कुराहट और बाकि सभी चेहरों पर दुःख देखती हूँ मै अपने माँ बाप का प्यार तो मिला पर समाज के उपहास को नित्य झेलती हूँ मै...!!इस देश में…
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मैं

मैं गली गली में घूम रहा हूँ जैसे किसी नशे में झूम रहा हूँ मैं तो बस मैं को ढूँढ रहा हूँ जिस मैं को बचपन में पाया जवानी में जिस मैं का साथ निभाया बुढ़ापे में उस मैं को कहाँ भूल आया मैं गली गली में घूम रहा हूँ जैसे किसी नशे में झूम रहा हूँ…
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जब मैं छोटा था

जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी.. मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ, अब वहां "मोबाइल शॉप", "विडियो पार्लर" हैं, फिर भी सब सूना है..…
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जीवन की पहली शिक्षक माँ ही होती हे

जीवन की पहली शिक्षक माँ ही होती हे माँ चाहे अनपढ़ हो,, मगर हमारी पहली शिक्षक वाही होती है..!! एक छोटा बच्चा अपनी माँ से नाराज होकर चिल्लाने लगा मे तुमसे नफरत करता हूँ उसके बाद वह फटकारे जाने के डर से घर से भाग गया वह पहाड़ियों के पास जाकर…
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अबे 2012!

अबे 2012! तेरे जैसा साल न आये दोबारा। तूने तो सारा देश ही निपटा मारा। सबसे पहले तो छीना कुश्ती का सितारा एक्टिंग का किंग, यानि दारा सिंह। अभी दारा की याद को भूले भी नहीं थे अख़बार, तब तक हमें अलविदा कह गए राजेश खन्ना यानि पहले सुपरस्टार।…
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अगले जनम मोह़े बिटिया ना देना

माँ बहुत दर्द सह कर ... बहुत दर्द दे कर ... तुझसे कुछ कहकर में जा रही हूँ .... आज मेरी विदाई में जब सखियाँ आयेगी ..... सफेद जोड़े में देख सिसक-सिसक मर जायेंगी .. लड़की होने का ख़ुद पे फ़िर वो अफ़सोस जतायेंगी .... माँ तू उनसे इतना कह देना…
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‘दामिनी’ की ‘अमानत’

समय चलते मोमबत्तियां, जल कर बुझ जाएँगी ... श्रद्धा में डाले पुष्प, जल हीन मुर्झा जायेंगे ... स्वर विरोध के और शांति के अपनी प्रबलता खो देंगे ... किन्तु 'निर्भयता' की जलाई अग्नि हमारे ह्रदय को प्रज्वलित करेगी ... जल हीन मुरझाये पुष्पों को…
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'दामिनी' की 'अमानत'

समय चलते मोमबत्तियां, जल कर बुझ जाएँगी ... श्रद्धा में डाले पुष्प, जल हीन मुर्झा जायेंगे ... स्वर विरोध के और शांति के अपनी प्रबलता खो देंगे ... किन्तु 'निर्भयता' की जलाई अग्नि हमारे ह्रदय को प्रज्वलित करेगी ... जल हीन मुरझाये पुष्पों को…
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करती हूँ प्रतिकार तुम्हारा

मुझे दिखा दीन हीन तुम, अपना अहम बढ़ाते कुचल मसल मेरी अस्मिता, तुम स्वयं का पुरुषार्थ दर्शाते करती हूँ प्रतिकार तुम्हारा पुत्र, भ्राता,स्वामी,सखा तुम नहीं अब नाथ मेरे नही मैं अब धरा सी तुम्हे देव मान सब कुछ चुपचाप सहूँगी अब बंधन सब तोड़ मैं…
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