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Poet’s Corner

A collection of Poems. . . .

क्या खोया क्या पाया जग में

क्या खोया क्या पाया जग में, मिलते और बिछड़ते मग में, मुझे किसी से नहीं शिकायत, यधपि छला गया पग-पग में, एक दृष्टि बीती पर डालें, यादों की पोटली टटोलें, जन्म मरण का अविरत फेरा, जीवन बंजारों का अविरत डेरा, आज यहाँ कल वहाँ कूच है, कौन जानता…
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दीपावली है दीपों का त्यौहार

दीपावली, दीपों का त्यौहार , लाता खुशियाँ ढेर अपार , आता साल में एक ही बार , लगता है ये सबको प्यारा, रोशनी से भरता गगन को , बच्चे लड़ी, पटाखे और फूलझड़ी जलाते हुए, मिठाई, मेबे ,खील बताशे और खाते हुए, तरह-तरह के व्यंजन बनाती मम्मी, बच्चे पुरे…
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तुम्हारे इंतज़ार में…

मैंने कितने ही ख़त लिखे तुम्हें बुलाने के लिए मगर तुम न आए तुम्हारे इंतज़ार से ही मेरी सहर की इब्तिदा होती दोपहर ढलती और फिर शाम की लाली की तरह तुमसे मिलने की मेरी ख्वाहिश भी शल हो जाती सारे अहसासात दम तोड़ चुके होते लेकिन उम्मीद की एक…
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माना हमारे ख़्वाब की ताबीर तुम नहीं

होठों पे नरम धूप सजाते रहे हैं हम आंखों में जुगनुओं को छुपाते रहे हैं हम माना हमारे ख़्वाब की ताबीर तुम नहीं पलकों पे इनको फिर भी सजाते रहे हैं हम हक़ दोस्ती का यूं तो अदा हो नहीं सका ख़ुद को मगर ज़रूर मिटाते रहे हैं हम ख़ुद अपनी ज़िन्दगी…
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तुम्हारे ख़त मुझे बहुत अच्छे लगते हैं…

तुम्हारे ख़त मुझे बहुत अच्छे लगते हैं क्यूंकि तुम्हारी तहरीर का हर इक लफ्ज़ डूबा होता है जज़्बात के समंदर में और मैं जज़्बात की इस खुनक (ठंडक ) को उतार लेना चाहती हूं अपनी रूह की गहराई में क्यूंकि मेरी रूह भी प्यासी है बिल्कुल मेरी तरह और…
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आओ मन की गाँठें खोलें

यमुना तट, टीले रेतीले, घास फूस का घर डंडे पर, गोबर से लीपे आँगन में, तुलसी का बिरवा, घंटी स्वर. माँ के मुँह से रामायण के दोहे चौपाई रस घोलें, आओ मन की गाँठें खोलें. बाबा की बैठक में बिछी चटाई बाहर रखे खड़ाऊँ, मिलने वालों के मन में असमंजस,…
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मौत से ठन गई

ठन गई! मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था, रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई, यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई। मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं। मैं जी भर जिया, मैं मन से…
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कौरव कौन, कौन पांडव

कौरव कौन कौन पांडव, टेढ़ा सवाल है| दोनों ओर शकुनि का फैला कूटजाल है| धर्मराज ने छोड़ी नहीं जुए की लत है| हर पंचायत में पांचाली अपमानित है| बिना कृष्ण के आज महाभारत होना है, कोई राजा बने, रंक को तो रोना है| Author: Atal Bihari Vajpayee (अटल…
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आओ फिर से दिया जलाएँ

आओ फिर से दिया जलाएँ भरी दुपहरी में अंधियारा सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़ें- बुझी हुई बाती सुलगाएँ। आओ फिर से दिया जलाएँ हम पड़ाव को समझे मंज़िल लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल वतर्मान के मोहजाल में- आने वाला कल न भुलाएँ। आओ फिर से दिया…
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मेरा हिन्दुस्तां

जहाँ हर चीज है प्यारी सभी चाहत के पुजारी प्यारी जिसकी ज़बां वही है मेरा हिन्दुस्तां जहाँ ग़ालिब की ग़ज़ल है वो प्यारा ताज महल है प्यार का एक निशां वही है मेरा हिन्दुस्तां जहाँ फूलों का बिस्तर है जहाँ अम्बर की चादर है नजर तक फैला सागर है…
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