Indore Dil Se
News & Infotainment Web Channel
Browsing Category

Poet’s Corner

A collection of Poems. . . .

भोले भंडारी

भोले आज द्वार तुम्हारे खड़ी , पूछ रही यह जनता सारी | नेत्र तीसरा कब खोलोगे तुम , ओ जय जय भोले भंडारी || तुमने दिए वरदान सभी को , जो भी दर तेरे पहुँच गया | अभयदान दिया उसी को , जिसने शिव तेरा नाम लिया || आज साध ली है क्यों चुप्पी , ज़रा बताओ…
Read More...

मैं चाय लाती हूँ

सालों बाद माँ की गोद में सो गया, आज बचपन में खो गया, सोचा क्यों न कुछ जिद कर डालूं, पहले की तरह हर बात मनवा लूं, पर न जाने कब आँखें सो गयीं, उसकी नींद तो बस मेरी आँखों में खो गयी, रात भर मुझे निहारती रही, दुलारती रही, मेरी बलाएं उतारती…
Read More...

साथी, सब कुछ सहना होगा!

मानव पर जगती का शासन, जगती पर संसृति का बंधन, संसृति को भी और किसी के प्रतिबंधों में रहना होगा! साथी, सब कुछ सहना होगा! हम क्या हैं जगती के सर में! जगती क्या, संसृति सागर में! एक प्रबल धारा में हमको लघु तिनके-सा बहना होगा! साथी, सब कुछ…
Read More...

सालगिरह का दुआओं से लबरेज़ तोहफ़ा…

बयां हो अज़म आख़िर किस तरह से आपका फ़िरदौस क़लम की जान हैं, फ़ख्र-ए-सहाफ़त साहिबा फ़िरदौस शुक्रिया फ़िरदौस बेहद शुक्रिया फ़िरदौस... सहाफ़त के जज़ीरे से ये वो शहज़ादी आई है मिली हर लफ़्ज़ को जिसके मुहब्बत की गवाही है हर एक तहरीर पे जिनकी…
Read More...

तुम्हारे लिए एक दुआ…

मेरे महबूब तुम्हारी ज़िन्दगी में हमेशा मुहब्बत का मौसम रहे... मुहब्बत के मौसम के वही चम्पई उजाले वाले दिन जिसकी बसंती सुबहें सूरज की बनफ़शी किरनों से सजी हों... जिसकी सजीली दोपहरें चमकती सुनहरी धूप से सराबोर हों... जिसकी सुरमई शामें…
Read More...

रिश्ते

रिश्ते, जो तैयार होते हैं, संबोधन की नींव से, सामीप्य की दीवारों से । हर साथ बिताया पल, एक उस ईंट की तरह, जो इमारत की बुनियाद बनती है । फिर साथ रहते हुए, हम इन्हें संभालने की कोशिश करते हैं । ये बंट जाते हैं छोटे छोटे बक्सों में, हरेक…
Read More...

दुआ

हर लम्हा ज़िंदगी का एक कोरा सफहा है, कूची ख्वाहिशों की लेकर तुम इसमें रंग भर लो । लेकर सुबह से सिंदूरी लाल, आकृति नये जीवन की बनाना । फिर ले प्रणयी बासंती पीला, नित नये तुम स्वप्न सजाना । मेहंदी से लेकर हरा रंग, अपना सुंदर संसार रचाना ।…
Read More...

आज फिर सहर एक शाम लाई है

ये कैसी सहर हुई है आज, कि हर ओर सांझ नज़र आती है, तन्हा गलियों में पसरी सी पगलाई ये सियाही नज़र आती है. कल रात सोचा था रोशनी का इंतज़ार करेंगे, छिटक कर दूर हर बुरे ख्वाब को, मेहबूबो यार का फिर एहतराम करेंगे. मगर ये क्या हुआ कि, आज फिर…
Read More...

सन्देश प्रकृति का

तुम्हारी जिज्ञासा और मेरा कौतूहल एक दिन पहुँचे क्षितिज के पास, अठखेलियाँ करती परियाँ जहाँ सतरंगे इन्द्रधनुष के साथ. पुण्य आत्माएँ बसती वहाँ शुभ्र बादलों के साथ . सभी ग्रहों के प्राणी मिलकर खूब रंग जमाते एक साथ . चंदा तारे नाचते गाते धूम…
Read More...

क़दम मिला कर चलना होगा

बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में, अगर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में,…
Read More...

Contact to Listing Owner

Captcha Code