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Poet’s Corner

A collection of Poems. . . .

माँ तुझे मै क्या दूँ

ऐ माँ तुम्हे मै क्या दू... तन समर्पित मन समर्पित, जीवन का हर छन समर्पित सोचता हु ऐ माँ तुझे और क्या दूँ … छीर सिन्धु के तेरे अमृत ने, पोषित किया मेरा ये जीवन तेरे आँचल से महंगा कोइ वस्त्र नहीं, ढक ले जो सारा तन तेरे ममता के सागर सा, प्यार…
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अलबेली सरकार सांवरियां

सांवरियां ले चल परली पार कन्हैय्या ले चल परली पार जहाँ विराजे राधा रानी, अलबेली सरकार सांवरियां ... गुण अवगुण सब तुझको अर्पण, पाप पुण्य सब तुझको अर्पण, बुद्धि सहित मन तेरे अर्पण यह जीवन भी तेरे अर्पण, मैं तेरे चरणों की दासी, मेरे प्राण…
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शादी. . .

शादी बर्बादी होती है मुरख है जो यह कहते है शादी से तो घर घर होता है वर्ना चिड़िया घर सा होता है बच्चों को माँ जैसे संभालती है पत्निया पतियों को संभालती है माँ प्यार से घर को एक मंदिर बनाती है पत्निया उस मंदिर को अपनी जतन से आगे बढाती है माँ…
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पुष्प

सुन्दरता है पुष्प की उसकी सुरभि से पहन विविध रंगों के परिधान मुस्कुरातें हैं... काँटों में खिलखिलाते हैं चमकता सूरज... गरजता गगन... बावरी पवन रोक नही पाती... इसकी सहज मुस्कान को आनंद और उल्लास का संदेसा देते ये पुष्प निहाल करते हैं... मन को…
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अहसास

आओ फिर से जिएँ, सपने को जीवन में बदलने और जीवन को सपने में ! चलो फिर एक बार लिखे, खुशबू से भरे भीगे ख़त ! जिन्हें पढ़ते-पढ़ते भीग जाते थे हम, इंतज़ार करते थे डाकिये का ! बंद कर के दरवाज़ा, पढ़ते थे चुपके-चुपके ! वे भीगे ख़त तकिए पर सिर रख…
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प्यार आया

सुप्त अभिलाषाओं को नेहिल स्पर्श से जगाया शुष्क डालियों में... नवजीवन का सुमन खिलाया भीगी पलकों के अश्कों को तुम्हारे एहसासों की तप्त साँसों ने सुखाया उलझी लटों... अल्कों को तुम्हारी उंगलिओं ने हौले से सुलझाया प्यार का रस पीकर उपवन भी…
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वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया

वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया सबकी आँखों का तारा मन ही मन क्यों जले राधिका ! मोहन तो सब का प्यारा, वृन्दावनका. . . . जमुना तट पर नन्द का लाला जब-जब रास रचाए रे तन-मन डोले कान्हा ऐसी बंसी मधुर बजाये रे ! सुध-बुध खोय खड़ी गोपिया जाने कैसा जादू…
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जन्नत

वोह जन्नत की कोई हूर थी, जिसकी हर अदा थी मुख़्तसर ! उसकी झील सी नीली आँखों में, मैं बेख़ौफ़ डूबा रहा उम्र भर ! जिसकी मोहब्बत करती रही, मेरी ज़िन्दगी में हरदम बसर ! उसकी आँखों में भी झलकता था, पाक उल्फत का जज्बा पुरअसर ! पर खुदा की रहमतों पे शक…
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गुंजाइश

गुनाहों के आसमान से, आज अंधेरों की बारिश है ! ज़ख्म से तड़पते उजालों की, मुसलसल रहम की गुजारिश है !! सरपरस्त बने कातिलों की, बहुत ही बेरहम ख्वाहिश है ! कि अब हिंद के ज़र्रे-ज़र्रे में, अब ज़ुल्म की आज़माइश है !! बेगुनाहों की खुदा से मुसलसल, एक…
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बेटी

घर की सब चहल - पहल है बेटी, जीवन में खिला कमल है बेटी ! कभी धूप गुनगुनी सुहानी, कभी चंदा शीतल है बेटी !! शिक्षा, गुण संस्कार रोप दो, फिर बेटी सी सबल है बेटी !! सहारा दो गर विश्वास का, तो पावन गंगागल है बेटी !! प्रकृति के सदगुण सींचो, तो…
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