Browsing Category
Poet’s Corner
A collection of Poems. . . .
माँ का गीला बिछौना
कुछ भूल से गए हो तुम
माँ का गीला बिछौना
तुम्हारा सुख से सूखे में सोना
नींद से उठकर तुम्हे कम्बल में ढंकना
क्या केवल फ़र्ज़ था उनका
पापा के कंधे पर बैठ .. दुनिया की सैर करना
क्या तुम सच भूल गए हो..
''पाटी पूजा'' कर लिखा स्लेट पर ''अ'' से…
Read More...
Read More...
साईं का साथ
जब कोई तूफ़ान हमें दिल से हिला जाता है
तब साईं बाबा का साथ ही हमें बचा पाता है...
उस तूफ़ान से घबराकर हारने लगते है जब हम
तो साईं का विश्वास ही हमें हौसला दे जाता है...
सच तो ये है की जितना हम पल पल में टूटने लगते है
उतना ही साईं का साथ है…
Read More...
Read More...
सुखद सांस
वो क्रूरता का पुजारी था
अर्थियों का व्यापारी था
उसका न कोई मजहब था
ना ही कोई जात थी
उसने अस्पताल तक को ना छोड़ा
मंदिर मस्जिद को भी तोडा
इनके आकाओं ने सोचा
भारत तो अमन का सौदागर है
माफ़ कर ही देगा
जबकि अंत में तुम्हारे जमीर ने ही..
तुम्हे नही…
Read More...
Read More...
“दीदी” तुम्हारा “भाई”
"दीदी" तुम्हारा "भाई"
एक रिश्ता - बड़ा अनाम
सोचता हूँ दूं - उसे
कोई अच्छा सा नाम .
सावन सा उमड़ता -
घुमड़ता रीझता हो .
खिजाता हो - खीजता हो .
कोई ऐसी हो इस जहाँ में - ऐ दोस्त
जिसका दिल मेरे दर्द से -
बेतरह पसीजता हो .
जो लड़ सके दुनिया से…
Read More...
Read More...
"दीदी" तुम्हारा "भाई"
"दीदी" तुम्हारा "भाई"
एक रिश्ता - बड़ा अनाम
सोचता हूँ दूं - उसे
कोई अच्छा सा नाम .
सावन सा उमड़ता -
घुमड़ता रीझता हो .
खिजाता हो - खीजता हो .
कोई ऐसी हो इस जहाँ में - ऐ दोस्त
जिसका दिल मेरे दर्द से -
बेतरह पसीजता हो .
जो लड़ सके दुनिया से…
Read More...
Read More...
बेटियाँ
प्यार का मीठा एहसास हैं बेटियाँ,
घर के ऑंगन का विश्वास हैं बेटियाँ...
वक़्त भी थामकर जिनका ऑंचल चले,
ढलते जीवन की हर श्वास हैं बेटियाँ...
जिनकी झोली है खाली वही जानते,
पतझरों में भी मधुमास हैं बेटियाँ ...
रेत-सी ज़िन्दगी में दिलों को…
Read More...
Read More...
क्या लाया था
क्या लाया था साथ में
जो आया वो जाएगा, दुनिया एक सराय
कोई आगे चल दिया, कोई पीछे जाय।
क्या लाया था साथ में, क्या जाएगा साथ
आना खाली हाथ है, जाना खाली हाथ।
सुख में सारे यार हैं, दु:ख में साथी चार
इधर प्राण निकले उधर, हुई चिता तैयार।
क्या…
Read More...
Read More...
लाचार माँ
" खून की कमी से रोज मरती, बेबस लाचार माँ "
माँ की दवाई का खर्चा, उसे मज़बूरी लगता है
उसे सिगरेट का धुंआ, जरुरी लगता है ||
फिजूल में रबड़ता , दोस्तों के साथ इधर-उधर
बगल के कमरे में, माँ से मिलना , मीलों की दुरी लगता है ||
वो घंटों लगा…
Read More...
Read More...
दादी माँ
मेरे मन की, पिता के मन की,
सारे भावों को जान लेती है।
ज़िन्दगी को मुद्दत से देखती आई है,
हर दुख-दर्द को सहती आई है।
अपने ऊपर हर कष्ट लेकर,
आँचल का छाँव देती आई है॥
मेरी दादी माँ, मेरे और मेरे पिता के,
संग संग हर पल, हर वक़्त रहती है॥
Read More...
Read More...
गुलाबी ठंडक-गुलाबी मौसम
बदलने मौसम लगा है आजकल,,
शामो-सुबह, ठण्ड थोड़ी बढ़ रही
दे रही है रोज दस्तक सर्दियाँ,
लोग कहते ठण्ड गुलाबी पड़ रही
रूप उनका है गुलाबी फूल सा,
पंखुड़ियों से अंग खुशबू से भरे
देख कर मन का भ्रमर चचल हुआ,
लगा मंडराने, करे तो क्या करे
हमने उनको जरा…
Read More...
Read More...