प्यार आया
सुप्त अभिलाषाओं को
नेहिल स्पर्श से जगाया
शुष्क डालियों में...
नवजीवन का सुमन खिलाया
भीगी पलकों के अश्कों को
तुम्हारे एहसासों की तप्त साँसों ने सुखाया
उलझी लटों... अल्कों को
तुम्हारी उंगलिओं ने हौले से सुलझाया
प्यार का रस पीकर उपवन भी…
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