Indore Dil Se
News & Infotainment Web Channel

सौ दिन में कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाया जाये – कमिश्नर

1,371

इंदौर (आई.डी.एस.) कमिश्नर श्री संजय दुबे की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में महिला एवं बाल विकास विभाग की कुपोषण मिटाने के संबंध में संभाग स्तरीय बैठक सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता करते हुये कमिश्नर श्री संजय दुबे ने कहा कि संभाग में निरीक्षण के दौरान यदि एक भी बच्चा टीकाकरण से वंचित पाया गया तो संबंधित महिला एवं बाल विकास अधिकारी,कर्मचारी और जिला टीकाकरण अधिकारी के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।

उन्होंने कहा कि इंदौर संभाग में लगभग तीन हजार बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं। अगले 100 दिन में इनका इलाज और समय पर भोजन मुहैया कराकर सामान्य श्रेणी में लाया जाये, अन्यथा संबंधित के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने कहा कि भ्रमण के दौरान प्राय: यह देखा गया है कि जहां पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता गंभीरता से अपने दायित्व का निर्वहन कर रही हैं, वहां पर बच्चों में कुपोषण बहुत ही कम है और जहां पर आंगनवाडी कार्यकर्ता अपना दायित्व ठीक से निर्वहन नहीं कर रहीं हैं, वहां पर कुपोषण का प्रतिशत अधिक है। उन्होंने संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग श्री राजेश मेहरा को निर्देशित किया कि काम न करने वाले आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सेवा से पृथक करें।

श्री दुबे ने कहा कि स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी शत-प्रतिशत टीकाकरण, स्तनपान का प्रचार, शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव, आंगनवाड़ी आने वाले बच्चों का प्रतिदिन वजन लेना, बच्चों को सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और थर्ड मील देना सुनिश्चित करें। कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में तुरंत भर्ती कराया जाये और उसका फॉलोअप किया जाये। यदि बच्चों को दिन में तीन बार या चार बार भोजन मिलेगा तो निश्चित रूप से कुपोषण के शिकार नहीं होंगे। बच्चों के अलावा गर्भवर्ती माताएं भी कुपोषण की शिकार नहीं होना चाहिये। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये कि आंगनवाड़ी केन्द्र समय पर खुलना चाहिये तथा सभी बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाये। प्राय: देखने में आया है कि आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बच्चों की उपस्थित बहुत कम रहती है। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी एवं जिला टीकाकरण अधिकारी अपने दायित्व का गंभीरता से निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि सुपरवाइजर और परियोजना अधिकारीगण मुख्यालय पर रहें। मुख्यालय पर न रहने वाले परियोजना अधिकारी से वाहन वापस लिया जाये।

उन्होंने संभाग के सभी जिला महिला बाल विकास अधिकारी और परियोजना अधिकारी, आईसीडीएस को महीने में 20 दिन क्षेत्र का दौरा करने के निर्देश दिये। उन्होंने आंगनवाड़ी केन्द्रों पर खून की कमी को पूरा करने के लिये आयरन फोलिक एसिड दवायें गर्भवती माताओं और किशोरी बालिकाओं को वितरित करने के निर्देश दिये। उन्होंने जिला टीकाकरण अधिकारियों को निर्देश दिये कि गर्भवती माताओं और बच्चों को सभी टीके समय पर लगना जरूरी है। सभी बच्चों के टीकाकरण की जिम्मेदारी जिला टीकाकरण अधिकारी की होगी।

बैठक में बताया गया कि कहीं-कहीं आंगनवाड़ी केन्द्र अधिक दूरी पर हैं, जिसके कारण आंगनवाड़ी केन्द्रों में उपस्थिति कम रहती है तथा गांवों में जगह-जगह प्रायवेट स्कूल खुल जाने के कारण भी तीन से छह वर्ष के बच्चे प्रायवेट स्कूलों में जाने लगे, इसके कारण वे आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं आते हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग के सीडीपीओ ने सलाह दी की कुपोषण मिटाने के लिये सामुदायिक जागरूकता और सहयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों के दो से अधिक बच्चे हैं। महिला नियमित रूप से स्तनपान नहीं कराती हैं। पुत्र पाने की इच्छा में लड़कियों की संख्या बढ़ती जाती है। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। शिशु रोग विशेषज्ञों की कमी है। ग्रामीण महिलायें साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देतीं। आदिवासियों में भोजन और जीवनशैली में बदलाव और सुधार की जरूरत है। आदिवासी बच्चों को पोष्टिक और संतुलित आहार नहीं मिल पाता।

इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय संचालक डॉ.एस.पालीवाल, संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास श्री राजेश मेहरा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.हरिनारायण नायक, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी डॉ.चंपालाल पासी, इंदौर संभाग के सभी टीकाकरण अधिकारी, सभी जिला महिला बाल विकास अधिकारी और समस्त सीडीपीओ आदि मौजूद थे।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Contact to Listing Owner

Captcha Code