वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया
वृन्दावन का कृष्ण कन्हैया सबकी आँखों का तारा
मन ही मन क्यों जले राधिका !
मोहन तो सब का प्यारा, वृन्दावनका. . . .
जमुना तट पर नन्द का लाला जब-जब रास रचाए रे
तन-मन डोले कान्हा ऐसी बंसी मधुर बजाये रे !
सुध-बुध खोय खड़ी गोपिया जाने कैसा जादू डारा !
जहान में प्रेम का मतलब, किसी ने ना जाना !
मतलब समझाने आजा, जरा प्रेम निभाने आजा !
Author: Govind Gupta (गोविंद गुप्ता)