Indore Dil Se
News & Infotainment Web Channel

क्या खोया क्या पाया जग में

192

क्या खोया क्या पाया जग में,
मिलते और बिछड़ते मग में,
मुझे किसी से नहीं शिकायत,
यधपि छला गया पग-पग में,
एक दृष्टि बीती पर डालें,
यादों की पोटली टटोलें,
जन्म मरण का अविरत फेरा,
जीवन बंजारों का अविरत डेरा,
आज यहाँ कल वहाँ कूच है,
कौन जानता किधर सवेरा,
अंधियारा आकाश असीमित,
प्राणों के पखों को तौलें,
अपने ही मन से कुछ बोलें !

 

Author: Atal Bihari Vajpayee (अटल बिहारी वाजपेयी)

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Contact to Listing Owner

Captcha Code