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जरा सोचिये.. आखिर ऐसा क्यों..?

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उज्जैन (पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री) आज शहर की जो हालात है उसके लिए उज्जैन के नेता सबसे ज्यादा जिम्मेदार है असल में ये सभी केवल अपना ही भला चाहते है बाकि जनता जाए भाड़ में वरना उज्जैन विकास में इंदौर से इतना कैसे पिछड़ गया। यहाँ का नेता हर सरकारी काम में हस्तक्षेप करता है।

कई उदाहरण है जैसे पिछले दो सिंहस्थ (कुम्भ) से नानाखेड़ा बस स्टैंड पूरी तरह से चालू नहीं हो पाया। एक भी नया कारखाना उज्जैन में नहीं आया। अतिक्रमण चारो और फेल गया है। ट्रैफिक व्यवस्था तो भगवान भरोसे है। डीजे प्रतिबन्ध के बावजूद भी लोगो को बहरा बना रहा है। नेता जब चाहे तब टॉवर, शहीद पार्क पर मंच बनाकर लोगो को परेशान करते है।

नगरनिगम के हालात तो आप सभी जानते है। होटल शान्तिपेलेस पर रोटरी न बना कर पता नहीं कितने लोगो की जान लेना चाहते है ये नेता लोग। पार्षद भी सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों को ट्रांसफर की धमकी दे देता है। प्रेमछाया का मुआवजा देने के बाद भी सड़क का निर्माण न होना भी इनकी ही कारस्तानी है। शासकीय अस्पताल का हाल बेहाल है। फ्रीगंज से देवासगेट ओवरब्रिज कब बनेगा कोई नहीं जनता। जगह जगह सड़क किनारे लोग मन्दिर बना लेते है रोकने वाला कोई नहीं।

अब समय आ गया है सब लोग इन नेताओ को पूछे की कब उज्जैन आगे बढ़ेगा और वे इसके सुधार के लिए क्या कर रहे है। आखिर हमने ही इनको आपन बहुमूल्य वोट देकर जिताया है। साथियों अगर आप सभी चाहते हो की हमारा उज्जैन भी तरक्की करें तो इसको अपने सभी दोस्तों को भेजिये। क्योकि अब मक्कारी नहीं काम चाहिए।

उज्जैन के सभी नेताओं से निवेदन है जरा उज्जैन के बारें में सोचिये… चिंतन कीजिये… वरना आने वाली पीढ़ी आप लोगों को कभी माफ़ नहीं करेंगे…

की क्या हो सकता था उज्जैन..?

कहाँ पहुँच सकता था उज्जैन..?

किन्तु आप लोगों की चापलूसी और स्वार्थ के कारण बेचारा उज्जैन क्या हो गया..?

जरा सोचियेगा…???

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