Indore Dil Se
News & Infotainment Web Channel

चिराग तले अंधेरा… आष्टांग आयुर्वेद चिकित्सालय

504

पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में हेल्थकेयर सिस्टम में सुधार के लिए 2022 अस्पतालों की तस्वीर बदलना चाहते हैं। लेकिन इंदौर का आष्टांग आयुर्वेदिक चिकित्सालय चिराग तले अंधेरा की कहावत को चरितार्थ कर रहा है। मरीज बिना बिजली के अंधेरे में पंचकर्म करवा रहे हैं। डॉक्टर इमरजेंसी लाइट में जांच करने के आदि हो गए हैं।

आयुर्वेद पद्धतियों से जनता को जोड़ने और चिकित्सा की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय के इतर आयुष मंत्रालय बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन सही मायने में उतरने लगा है इस पर सवालिया निशान लगा रहा है इंदौर का आयुर्वेद चिकित्सालय। जी हां आयुर्वेदिक पद्धति से इलाज के लिए इंदौर का शासकीय आष्टांग आयुर्वेद चिकित्सालय का आयुष विंग अंधेरे में है। यहां आए मरीज बिना बिजली के अंधेरे में पंचकर्म आदि क्रिया करवा रहे हैं। एक ओर आयुष जूनियर डॉक्टर्स ने काम ठप्प कर रखा है। दूसरी ओर आयुर्वेदिक कॉलेज में अक्सर बिजली नहीं रहती। इस अव्यवस्था के मरीज से लेकर डॉक्टर अब आदि हो चुके हैं। आयुर्वेद से इलाज करवाने आए लोगों का जायजा लिया तो अंधेरे में जो तस्वीरें सामने आई आपको भी भौचक्का कर देंगी।

अंधेरे कमरे में हो रहा पंचकर्म

आयुर्वेदिक इलाज में पंचकर्म विधि से भी इलाज किया जाता है। लेकिन बेसमेंट में बने पंचकर्म कक्ष में घुप्प अंधकार है। पहली बार आने वाले खाली समझकर लौट ही जाऐं, लेकिन भीतर से आती आवाजों से कदम देखने के लिए ठहर ही गए । शिरोधारा पंचकर्म करवा रहे हेमराज अंधेरे में ही लेटे हैं। इलाज कर रहे अटेंडर बोले यहां ऐसे हालात में ही इलाज करना पड़ता है। ये तो रोज का काम हो गया है। अंधेरे कमरे में छोटी लाइट में अक्सर मरीजों को पंचकर्म से इलाज किया जाता है। अंदर वाले कमरे में साइटिका से पीड़ित अपनी मालिश करवा रहे हैं। आखिर अंधेरे की आपदा से बड़ी दर्द की पीड़ा है। अंदाज़ा लगाइए कि गर्मी के मौसम में बत्ती गुल क्या गुल खिलाती होगी। लेकिन सहसा सर्वांग स्वेद क्रिया यानि सोनाबाथ से निकले व्यक्ति ने इसका जवाब भी दे दिया। अस्पताल में बिजली नदारद होने से ऊपरी तल में आयुष डॉक्टर शैलेष भी अंधेरे कमरे में इमरजेंसी लाइट में मरीजों को देख रहे हैं। बोले इस मजबूरी में हाथ पर हाथ धरे तो बैठे नहीं रह सकते। अगर बिजली चली गई तो संस्थान में जेनरेटर नहीं चलता।

ओपीडी में लाइट नहीं होने से मरीजों की कई जांचें भी नहीं हो पाईं। पैथॉलजी तक की जांचें करवाने के लिए मरीजों को दूसरे दिन आने की बात कहकर वापस भेज दिया गया। आयुष विंग की ओपीडी प्रतिदिन सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक खुलती है। यहां प्रतिदिन 80 से 100 मरीज आते हैं। बरसाती मौसम से कफ़, सर्दी खांसी की बीमारियों का पंचकर्म उपचार लेने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है। लेकिन मरीजों का किस हाल में इलाज हो रहा है, जिसको देखकर कहा ही जा सकता है चिराग तले अंधेरा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Contact to Listing Owner

Captcha Code