Indore Dil Se
News & Infotainment Web Channel

आओ हम होली मनाये

554

मेट कर मन की कलुषता, प्यार की गंगा बहाये
आओ हम होली मनाये
अहम् का जब हिरनकश्यप, प्रबल हो उत्पात करता
सत्य का प्रहलाद उसकी कोशिशों से नहीं मरता
और ईर्ष्या, होलिका सी, गोद में प्रहलाद लेकर
चाहती उसको जलाना, मगर जाती है स्वयं जल
शाश्वत सच, ये कथा है, सत्य कल थी, आज भी है
लाख कोशिश असुर कर ले, जीतता प्रहलाद ही है
सत्य की इस जीत की आल्हाद को ऐसे मनाये
द्वेष सारा,क्लेश सारा, होलिका में हम जलायें
भीग जायें, तर बतर हो, रंग में अनुराग के हम
मस्तियों में डूब जाये, गीत गायें, फाग के हम
प्यार की फसलें उगा, नव अन्न को हम भून खायें
हाथ में गुलाल लेकर, एक दूजे को लगायें
गले मिल कर, हँसे खिलकर, ख़ुशी के हम गीत गाये
आओ हम होली मनाये !

Author: मदन मोहन बाहेती ‘घोटू’

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Contact to Listing Owner

Captcha Code