याद तुम्हारी

नदिया के हिलोरों सी याद तुम्हारी,
त्योहारों के उल्लास सी याद तुम्हारी.

कुम्हार की माटी की सोंधी महक सी याद तुम्हारी,
समंदर की रेत के शंख सीपियों सी याद तुम्हारी.

परायों के बीच अपनत्व का भान कराती याद तुम्हारी,
फिर क्यों नित सांझ उदास करती याद तुम्हारी . . . .

Author: Jyotsna Saxena (ज्योत्सना सक्सेना)

Poets Corner
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