बेटी

घर की सब चहल – पहल है बेटी,
जीवन में खिला कमल है बेटी !
कभी धूप गुनगुनी सुहानी,
कभी चंदा शीतल है बेटी !!
शिक्षा, गुण संस्कार रोप दो,
फिर बेटी सी सबल है बेटी !!
सहारा दो गर विश्वास का,
तो पावन गंगागल है बेटी !!
प्रकृति के सदगुण सींचो,
तो प्रकृति सी निश्छल है बेटी !!
क्यों डरते हो पैदा करने से,
अरे आने वाला कल है बेटी !!

Author: Atul Jain Surana

BetiyaPoets Corner
Comments (1)
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  • Pari

    Very Nice Lines Loving It.