फूलों से शोख उपवन

बसंत के सुरूर में ..

कुदरत ने लिखी इबारत..

कतीब (लिखी हुई).. खूबसूरत ग़ज़ल

गुलरुख(फूल से सुंदर) शेर से .. हर शाख को सजाया

फूलों से शोख उपवन को गुलजार किया

लाज की हरी पीली चूनर में

लजाई सी नववधू धरा को

वादियों ने बाहुपाश में बांधा है

आज इश्क की अंगड़ाइयों ने फिर

रूमानियत का हाथ थामा है..

विरहणी के इख्लिलागे क़ल्व (दिल की तेज धड़कन)ने

हसीन वादियों में तुझको पुकारा है..!

Author: Jyotsna Saxena (ज्योत्सना सक्सेना)

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