तुम्हारे हैं

वेदना के इन स्वरों में… कुछ स्वर तुम्हारे हैं
सिन्धु के प्रचंड वेग में.. कुछ लहरे तुम्हारी हैं
जेठ का सा ताप बहुत है.. शाप कुछ तुम्हारे हैं
किया सृजन श्रृंगार बहुत.. नेह मोती तुम्हारे ही हैं
नीरवता के भयावह सन्नाटे में.. कुछ स्वप्न तुम्हारे हैं
करुणा से भरी छलकती आँखों में.. अश्रु बिंदु तुम्हारे ही हैं

Author: Jyotsna Saxena (ज्योत्सना सक्सेना)

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