एक प्राथना मेरी साईनाथ से

जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनियां छूटी जाय
हम आऐ सांई के द्वारे धरती कहीं भी जाय
चहूं ओर तूफ़ान के धारे, मैली हवा वीरान किनारे
जीवन नैया सांई सहारे फिर भी चलती जाय
जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनिया छूटी जाय
नाम सिमरले जब तक दम है, बोझ ज़ियादा वक्त भी कम है
याद रहे दो दिन की उमरिया पल पल घटती जाय
जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनिया छूटी जाय
सांई के मंदिर में आए जब श्रद्दा के हार चढ़ाए
मन विश्वास के फूल की रंगत और निखरती जाय
जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनिया छूटी जाय
भक्तों को दर्शन भिक्षा दो, रक्षा की ठंडक पहुंचा दो
तुम ही कहो ये बिरहा कि अग्नि कब तक जलती जाय
जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनिया छूटी जाय
हम आए सांई के द्बारे धरती कहीं भीजाय
सभी मित्रो को साईं बाबा का चमत्कारी आशीर्वाद मिले येही प्राथना हे ॐ साईं राम. . . .

Author: Govind Gupta (गोविंद गुप्ता)

Poets CornerSai Nath
Comments (0)
Add Comment