कलाम अमर हो गए. . . . .

नई दिल्‍ली : मिसाइल मैन के नाम से चर्चित पूर्व राष्‍ट्रपति ए पी जे अब्‍दुल कलाम का सोमवार को निधन हो गया। कलाम शिलांग के आईआईएम में आयोजित एक कार्यक्रम में लेक्‍चर दे रहे थे, तभी वे बेहोश होकर गिर पड़े। जानकारी के अनुसार, उन्‍हें वहां के बेथानी अस्‍पताल में शाम 7 बजे भर्ती कराया गया था। सूत्रों ने बताया कि उनकी ब्‍लड प्रेशर और दिल की धड़कन एकदम से कम हो गई थी जिसके बाद उन्‍हें आईसीयू में भर्ती कराया गया। जहां उन्‍होंने अंतिम सांस ली। अब्दुल कलाम ने 83 साल की उम्र में इस दुनिया से आखिरी विदाई ली।

रामेश्वरम में हुआ जन्म

देश के 11वें राष्‍ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम के एक गरीब परिवार में हुआ था। पेशे से नाविक कलाम के पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे। ये मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। पांच भाई और पांच बहनों वाले परिवार को चलाने के लिए पिता के पैसे कम पड़ जाते थे इसलिए शुरुआती शिक्षा जारी रखने के लिए कलाम को अखबार बेचने का काम भी करना पड़ा। आठ साल की उम्र से ही कलाम सुबह 4 बचे उठते थे और नहाकर गणित की पढ़ाई करने चले जाते थे। सुबह नहाकर जाने के पीछे कारण यह था कि प्रत्येक साल पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए आए बच्चों को नहीं पढ़ाते थे। ट्यूशन से आने के बाद वो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बांटते थे।

कलाम ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’ में आने के पीछे अपनी पांचवी क्लास के टीचर सुब्रह्मण्यम अय्यर को बताते थे। वो कहते हैं, ‘वो हमारे अच्छे टीचर्स में से थे। एक बार उन्होंने क्लास में पूछा कि चिड़िया कैसे उड़ती है? क्लास के किसी छात्र ने इसका उत्तर नहीं दिया तो अगले दिन वो सभी बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए, वहां कई पक्षी उड़ रहे थे। कुछ समुद्र किनारे उतर रहे थे तो कुछ बैठे थे, वहां उन्होंने हमें पक्षी के उड़ने के पीछे के कारण को समझाया, साथ ही पक्षियों के शरीर की बनावट को भी विस्तार पूर्वक बताया जो उड़ने में सहायक होता है। उनके द्वारा समझाई गई ये बातें मेरे अंदर इस कदर समा गई कि मुझे हमेशा महसूस होने लगा कि मैं रामेश्वरम के समुद्र तट पर हूं और उस दिन की घटना ने मुझे जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा दी। बाद में मैंने तय किया कि उड़ान की दिशा में ही अपना करियर बनाऊं। मैंने बाद में फिजिक्स की पढ़ाई की और मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की।’

मिसाइल मैन कहे जाते थे

कलाम भारत के स्‍पेस प्रोग्राम और मिलिटरी मिसाइल डेवलपमेंट से करीबी तौर पर जुड़े रहे। बैलिस्टिक मिसाइल और लॉन्‍च व्‍हीकल टेक्‍नोलॉजी के क्षेत्र में अपने कार्यों के लिए उन्‍हें मिसाइल मैन के नाम से पुकारा जाने लगा। कलाम ने 1998 में हुए पोखरन-2 परमाणु परीक्षणों में अहम भूमिका निभाई थी। यहां तक कि 1974 में हुए भारत के पहले परमाणु परीक्षण में भी उनका अहम योगदान रहा था।

भाजपा व कांग्रेस दोनों के सहयोग से बने थे राष्‍ट्रपति

2002 में भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस के समर्थन से कलाम देश के राष्‍ट्रपति बने थे। 18 जुलाई, 2002 को डॉक्टर कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा ‘भारत का राष्ट्रपति’ चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका कार्याकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ। पांच साल तक राष्‍ट्रपति रहने के बाद वह फिर से शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में वापस लौट गए।

भारत के अब तक के सर्वाधिक लोकप्रिय व चहेते राष्ट्रपतियों में से एक डॉ. अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम ने तमिलनाडु के एक छोटे से तटीय शहर रामेश्वरम में अखबार बेचने से लेकर भारत के राष्ट्रपति पद तक का लंबा सफर तय किया है। पूर्व राष्ट्रपति अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम को पूरा देश एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जानता था। वैज्ञानिक और इंजीनियर कलाम ने 2002 से 2007 तक 11वें राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की। मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्ध कलाम देश की प्रगति और विकास से जुड़े विचारों से भरे व्यक्ति थे।

भारत रत्‍न समेत कई सम्‍मान मिले

कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया। भारत के सर्वोच्च पर पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं। उनसे पहले यह मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया।

वैज्ञानिक बनने की कहानी कलाम ने ऐसे सुनाई….

‘मैं महज 10 साल का था और पांचवीं कक्षा में था। मेरे एक शिक्षक ने एक उड़ते हुए पक्षी का स्केच बनाया और बताया कि कैसे पक्षी उड़ते हैं। उस दिन न सिर्फ मैंने पक्षियों के उड़ने के बारे में जाना बल्कि मेरी जिंदगी का लक्ष्य बदल गया था-मैं उड़ना चाहता था।’

एक कार्यक्रम में उनके द्वारा रखे गए विचार उनके जीवन को बयां कर देते हैं। अपने लक्ष्य ‘मैं उड़ना चाहता था’ को ध्यान में रखते हुए वह देश को तकनीक के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले गए। उन्होंने देश में साइंस के क्षेत्र में क्रांति ला दी। रॉकेट साइंस के दम पर देश को मिसाइल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई।

इसरो को दी नई पहचान

1962 में कलाम इसरो में पहुंचे। इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया। उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं। 1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे। इस दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया। कलाम ने विजन 2020 दिया। इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक अत्याधुनिक करने की खास सोच दी गई। कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।

कलियुग की रामायण का राम चला गया… मेरे देश का कलाम चला गया… जो देता था एकता का पैगाम वोह कलाम चला गया…. जिनसे हुई दुश्मनो की नींद हराम वोह कलाम चला गया… जिसने दिया देश को परमाणु सलाम वोह कलाम चला गया क्या बताऊ दोस्तों वतन का सबसे बड़ा हमनाम चला गया… मेरा कलाम चला गया.. हमारा कलाम चला गया…

Dr. APJ Abdul KalamDr. Avul Pakir Jainulabdin Abdul KalamFormer PresidentIndia's Missile ManMissile ManRocket ScientistScientific Adviser To Kalamअवुल पकीर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम
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