मेरे मन की, पिता के मन की,
सारे भावों को जान लेती है।
ज़िन्दगी को मुद्दत से देखती आई है,
हर दुख-दर्द को सहती आई है।
अपने ऊपर हर कष्ट लेकर,
आँचल का छाँव देती आई है॥
मेरी दादी माँ, मेरे और मेरे पिता के,
संग संग हर पल, हर वक़्त रहती है॥
मेरे मन की, पिता के मन की,
सारे भावों को जान लेती है।
ज़िन्दगी को मुद्दत से देखती आई है,
हर दुख-दर्द को सहती आई है।
अपने ऊपर हर कष्ट लेकर,
आँचल का छाँव देती आई है॥
मेरी दादी माँ, मेरे और मेरे पिता के,
संग संग हर पल, हर वक़्त रहती है॥